भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और वह 'चंद्रयान-2' के लैंडर 'विक्रम' से संपर्क स्थापित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, जो 'हार्ड लैंडिंग' के बाद इस समय चंद्रमा की सतह पर है। 'विक्रम' का शनिवार को 'सॉफ्ट लैंडिंग' के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। जिसके बाद पाकिस्तान की ओर से भारत की असफलता का मजाक बनाया गया था। इसी बीच कई वीडियो सोसल मीडिया पर देखने को मिले जो इसरो के लिये पाकिस्तान के यूजर ने बनाये थे। हैशटैग #Chandrayaan2 #ISROSpotsVikram के साथ एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें पाकिस्तान की खिल्ली उड़ाई जा रही है।
वीडियो को ट्विटर यूजर दीपक कुमार ने शेयर किया है। वीडियो में दिख रहा है कि पाकिस्तान के झंडे के हरे और सफेद रंग को मिलाकर एक रॉकेट नुमा स्काई लॉलटेन बनाया गया है। जिसको हवा में उड़ाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को शेयर कर लिख रहे हैं कि देख लो कुछ इस तरह से पाकिस्तान चांद पर जाने की तैयारी कर रहा है।
एक यूजर ने लिखा है, ओह मुझे तो पता भी नहीं था कि पाकिस्ताव के पास स्पेश प्रोग्राम का कोई प्लान भी है। कुछ लोग लिख रहे हैं पाकिस्तान ऐसा ही चंद्रयान बना सकता है।
इसरो का चंद्रायान-2 के चांद पर ना पहुंच पाने पर पाकिस्तान के विज्ञान व तकनीक मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने लिखा था, ''मोदी जी सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर भाषण दे रहे हैं। दरअसल, ये नेता नहीं बल्कि एक अंतरिक्षयात्री हैं। लोकसभा को मोदी से एक गरीब मुल्क के 900 करोड़ रुपए बर्बाद करने के लिए सवाल पूछने चाहिए।''
मंत्री फवाद हुसैन ने एक अन्य ट्वीट में लिखा था- ''मैं हैरान हूं कि भारतीय ट्रोलर्स मुझे गालियां दे रहे हैं। मानो उनके मून मिशन को जैसे मैंने फेल कर दिया हो। भाई हमने कहा था कि 900 करोड़ लगाओ इन नालायकों पर।''
इसरो ने नहीं छोड़ी उम्मीद, लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क साधने की हरसंभव कोशिश जारी
'विक्रम' का शनिवार को 'सॉफ्ट लैंडिंग' के प्रयास के अंतिम क्षणों में उस समय इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था जब यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। लैंडर के भीतर ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर भी है। मिशन से जुड़े इसरो के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, ''ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी गईं तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक ‘हार्ड लैंडिंग’ थी। लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं। वह झुकी हुई स्थिति में है।''
अधिकारी ने कहा, ''हम लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक टीम इस काम में जुटी है।'' 'चंद्रयान-2' में एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। लैंडर और रोवर की मिशन अवधि एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर है।
इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क साधने की 14 दिन तक कोशिश करेगी। उन्होंने रविवार को लैंडर की तस्वीर मिलने के बाद यह बात एक बार फिर दोहराई।