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40 डॉक्टरों द्वारा घंटो की जटिल सर्जरी के बाद अलग हुए थे जुड़वा बच्चे जग्गा और बलिया, अब दो साल बाद एम्स से हुये डिस्चार्ज

By भाषा | Updated: September 7, 2019 05:34 IST

एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर दीपक गुप्ता ने इन बच्चों की स्थिति बताते हुए कहा कि जागा न्यूरोसाइकोलॉजिकल आकलन के हर क्षेत्र में विकास कर रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। वह घर जाने के शीघ्र बाद स्कूल भी जा सकेगा।

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ठळक मुद्देकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने इन जुड़वां बच्चों की ‘दुर्लभतम से दुर्लभ’ सर्जरी करने के लिए एम्स के डॉक्टरों की प्रशंसा की।जुड़वा बच्चों जागा और बलिया की सर्जरी की प्रक्रिया 28 अगस्त और 25 अक्टूबर 2017 को दो चरणों में पूरी हुई थी।

ओडिशा के कंधमाल जिले के आपस में जुड़े जुड़वां बच्चों जागा और बलिया को अलग करने के लिए एम्स में हुई पेचीदा सर्जरी व दो साल तक चले लंबे इलाज के बाद शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। तीन डॉक्टरों की एक टीम और एम्स की एक नर्स इन जुड़वां बच्चों के साथ ट्रेन से कटक के लिए रवाना हुए। इन दोनों बच्चों के सर्जरी में 40 डॉक्टरों की टीम थी। 

चिकित्सकों की टीम में एक न्यूरोसर्जन, एक न्यूरोएनेस्थिटिस्ट और पीडीअट्रिशन (बाल रोग विशेषज्ञ) शामिल हैं। शनिवार को ओडिशा के कटक पहुंचने के बाद इन बच्चों को यहां के श्रीराम चंद्र भांजा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आगे के इलाज के लिए भर्ती किया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने इन जुड़वां बच्चों की ‘दुर्लभतम से दुर्लभ’ सर्जरी करने के लिए एम्स के डॉक्टरों की प्रशंसा की। उन्होंने इसे जुड़वां सिरों को अलग करने की ऐसी पहली सफल सर्जरी करार दिया जिसमें दोनों बच्चे सही-सलामत हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों में केवल 10 से 15 बच्चे सर्जरी से अलग किए जाने के बाद जीवित रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 मिशन के जरिए देश को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलवाई, उसी तरह से एम्स के डॉक्टरों ने भी इस तरह की सफल सर्जरी करके उपलब्धि हासिल की है।

एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर दीपक गुप्ता ने इन बच्चों की स्थिति बताते हुए कहा कि जागा न्यूरोसाइकोलॉजिकल आकलन के हर क्षेत्र में विकास कर रहा है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। वह घर जाने के शीघ्र बाद स्कूल भी जा सकेगा। लेकिन बलिया अभी न्यूरोलॉजिकल रूप से अक्षम है और उसे विशेष ट्यूब से खाना दिया जा रहा है। लेकिन वह खुद से सांस ले रहा है। उसे अभी लंबे समय तक देखभाल की जरूरत है। जुड़वा बच्चों जागा और बलिया की सर्जरी की प्रक्रिया 28 अगस्त और 25 अक्टूबर 2017 को दो चरणों में पूरी हुई थी।

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