2019 में सोशल मीडिया पर क्या-क्या रहा चर्चा में, क्या हुए अहम बदलाव, यहां देखें भारतीय इंटरनेट का आकलन

By भाषा | Updated: December 30, 2019 17:20 IST2019-12-30T17:20:35+5:302019-12-30T17:20:35+5:30

रोचक तथ्य यह है कि इनमें से करीब 6.6 करोड़ उपभोक्ता 5 से 11 साल के बच्चे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों के मोबाइल, कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

is saal soshal meediya pletaphorm par naagarikata vidheyak, anuchchhed 370 ko lekar chhaayee rahee bahas 83/5000 This year, the debate on the Citizenship Bill, Article 370, on social media platforms | 2019 में सोशल मीडिया पर क्या-क्या रहा चर्चा में, क्या हुए अहम बदलाव, यहां देखें भारतीय इंटरनेट का आकलन

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsखबरों के अनुसार इस साल कश्मीर से लेकर असम तक और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में 95 बार ऐसा हुआ कि इंटरनेट पर रोक लगा दी गयी।गल और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों ने संकल्प लिया कि वे पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों का विवरण देंगे।

ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर इस साल नागरिकता संशोधन कानून तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने जैसे विषयों पर लोगों के बीच बहस अहम रही, वहीं इन कंपनियों को फर्जी खबरों, डेटा में सेंध तथा जवाबदेही के लिए नियम बनाने के सरकार के प्रयासों का सामना करना पड़ा। भारतीय इंटरनेट और मोबाइल संघ के आकलन के अनुसार भारत में मार्च 2019 तक 45 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के होने का अनुमान है और मासिक सक्रिय इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में चीन के बाद उसका दूसरा स्थान होगा। रोचक तथ्य यह है कि इनमें से करीब 6.6 करोड़ उपभोक्ता 5 से 11 साल के बच्चे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों के मोबाइल, कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

भारतीय मोबाइल फोन के माध्यम से विषयवस्तु को प्राप्त कर रहे हैं तो सामग्री का सृजन भी कर रहे हैं। मसलन टिकटॉक जैसे ऐप पर वीडियो बनाये जा रहे हैं तो अनेक वॉट्सऐप समूहों पर दोस्तों तथा परिजनों द्वारा साझा खबरों को प्रसारित किया जाता है। क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन सामग्री उपलब्ध होने से भी इसका प्रसार बढ़ा है।

शेयरचैट के सह-संस्थापक और सीईओ अंकुश सचदेवा ने कहा कि भविष्य में 50 से 60 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 90 प्रतिशत से अधिक गैर-अंग्रेजी वाली पृष्ठभूमि से हो सकते हैं। टिकटॉक पर अप्रैल में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कुछ दिन के लिए रोक लग गयी थी। छोटे छोटे वीडियो बनाने के लिए युवाओं में लोकप्रिय इस ऐप को भारत में ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ के लिए कथित दुरुपयोग के मामले में सरकार ने नोटिस भेजा जिस पर कंपनी ने जवाब दिया।

लोकसभा चुनाव 2019 इंटरनेट पर छाया रहा

लोकसभा चुनावों को देखते हुए 2019 का साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए महत्वपूर्ण था। पहले फेसबुक पर अमेरिका में चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग होने के आरोप लगे थे। भारत सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को यहां इस तरह के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। गूगल और फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्मों ने संकल्प लिया कि वे पारदर्शिता लाने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों का विवरण देंगे।

चुनाव में ईमानदारी बनाये रखने के लिए अनेक तरह के प्रयास इन कंपनियों की ओर से किये गये। अक्टूबर में वॉट्सऐप ने इस्राइली निगरानी कंपनी एनएसओ पर मुकदमा दर्ज कराया और उस पर उसके स्पाईवेयर पेगासस को खरीदने वाले लोगों को चार महाद्वीपों के करीब 1400 लोगों के फोन में सेंध लगाने में मदद करने का आरोप लगाया। इसमें निशाने पर राजनयिक, राजनीतिक असंतुष्ट लोग, पत्रकार और सैन्य तथा सरकारी अधिकारी शामिल बताये गये। भारत में बताया जाता है कि 121 लोग इसके निशाने पर रहे। भारत में 40 करोड़ लोग वॉट्स्ऐप का इस्तेमाल करते हैं और 32.8 करोड़ लोग फेसबुक का उपयोग करते हैं।

भारत सरकार ने इस संदर्भ में कहा था कि वह वॉट्सऐप की सुरक्षा प्रणाली का ऑडिट कराना चाहती है। हालांकि प्रदर्शनों के दौरान तेजी से सूचना के प्रसारण की वजह से सरकार ने विभिन्न मौकों पर इंटरनेट पर रोक भी लगाई।

खबरों के अनुसार इस साल कश्मीर से लेकर असम तक और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में 95 बार ऐसा हुआ कि इंटरनेट पर रोक लगा दी गयी। अगला साल भी कई कारणों से इस क्षेत्र में अहम रहने वाला है। जाहिर है कि सरकार इन प्लेटफॉर्मों पर और कड़ी नजर रखेगी, फिर चाहे लोगों की निजी जानकारी की सुरक्षा की बात हो या सरकार के खिलाफ अभिव्यक्ति का माध्यम बनने की। 

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