ब्रिटेन के दुर्लभ पुरालेख में सामने आई प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय पायलट की भावुक कहानी

By भाषा | Updated: April 26, 2020 10:40 IST2020-04-26T10:40:51+5:302020-04-26T10:40:51+5:30

वेलिंकर उन 13 लाख भारतीयों में से एक थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ाई लड़ने का आह्वान स्वीकार किया था। करीब 74,000 लोगों ने अपनी जन्मभूमि को दोबारा नहीं देखा और आज वे फ्रांस, बेल्जियम, पश्चिम एशिया और अफ्रीका समेत दुनिया के अन्य कोनों में स्मारकों और समाधि स्थलों में याद किए जाते हैं।

Indian World War I Fighter Pilot's Moving Story Emerges In Rare UK Archive | ब्रिटेन के दुर्लभ पुरालेख में सामने आई प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय पायलट की भावुक कहानी

वेलिंकर रॉयल फ्लाइंग कॉर्प्स में बतौर पायलट शामिल होना चाहते थे

Highlightsवेलिंकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सुशिक्षित व्यक्ति थे। वेलिंकर उन 13 लाख भारतीयों में से एक थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ाई लड़ने का आह्वान स्वीकार किया था।

लंदन: ब्रिटेन के राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि आयोग (सीडब्ल्यूजीसी) की ओर से हाल में जारी पुरालेख में उस भारतीय वायुसैनिक की उल्लेखनीय कहानी सामने आई है जो प्रथम विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने वाले चुनिंदा भारतीय लड़ाकू विमान पायलटों में शामिल था। लेफ्टिनेंट श्री कृष्ण चंदा वेलिंकर की कहानी युद्ध की उन हजारों मर्मस्पर्शी कहानियों में से एक है जो पारिवारिक पत्राचार के रूप में सुरक्षित हैं और जिन्हें डिजिटाइजेशन परियोजना के तहत सामने लाया गया है।

आज से पहले कभी प्रकाशित नहीं हुई इन फाइलों में हजारों पत्र, तस्वीरें और अन्य कागजात हैं जिनका आदान-प्रदान आयोग और प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए लोगों के परिवार के बीच हुआ था। इन्हीं में से एक कहानी वेलिंकर की है जो औपनिवेशिक भारत के बंबई के रहने वाले थे। अत्यंत मुश्किलों एवं भेदभाव का सामना करने के बाद, अंतत: वह पायलट बने और जून 1918 में पश्चिमी मोर्चे (वेस्टर्न फ्रंट) के ऊपर आसमान में गश्त करने वक्त लापता हो गए थे। उनके परिवार को उनकी मौत की पुष्टि होने का तीन साल तक इंतजार करना पड़ा और उनकी कब्र का पता चला।

सीडब्ल्यूजीसी के प्रमुख पुरालेखविद् एंड्र्यू फेदर्सटन ने कहा, “प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के घर में नि:संदेह कोई न कोई जीवनसाथी, परिजन या बच्चा छूट गया था जिनके कई सवाल थे। सीडब्ल्यूजी के अभिलेखागार में मौजूद मर्मस्पर्शी पत्र हमें इस बात की पहचान करने का मौका देते हैं कि यह उन परिवारों के लिए कैसा है जो अपने नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “ये ऐसी कहानियां हैं जो युद्ध के समापन की हताश इच्छाएं, पूर्व विरोधियों के एक हो जाने और कई मौकों पर इस दुखद एहसास को दिखाते हैं कि लापता प्रियजन हमेशा के लिए लापता रहेगा। हम विश्व युद्ध इतिहास के इस अनमोल अंश को नयी पीढ़ी तक पहुंचा पाने और प्रथम विश्वयुद्ध ने उन लोगों पर क्या असर डाला जो पीछे छूट गए, इस विषय में हमारी समझ को बढ़ा सकने में मदद करने को लेकर खुश हैं।”

वेलिंकर उन 13 लाख भारतीयों में से एक थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए लड़ाई लड़ने का आह्वान स्वीकार किया था। करीब 74,000 लोगों ने अपनी जन्मभूमि को दोबारा नहीं देखा और आज वे फ्रांस, बेल्जियम, पश्चिम एशिया और अफ्रीका समेत दुनिया के अन्य कोनों में स्मारकों और समाधि स्थलों में याद किए जाते हैं। वेलिंकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सुशिक्षित व्यक्ति थे। वह रॉयल फ्लाइंग कॉर्प्स में बतौर पायलट शामिल होना चाहते थे लेकिन पूर्वाग्रहों के चलते उन्हें एयर मैकेनिक बनने के लिए कहा लेकिन बाद में उन्हें अधिकारी के तौर पर कमीशन दिया गया।

उन्हें 1918 में फ्रांस में तैनाती मिली जहां वह पश्चिमी मोर्चे पर आसमान में गश्त पर थे। नयी जारी की गई फाइलों में वेलिंकर की उल्लेखनीय यात्रा का और युद्ध खत्म होने के बहुत वक्त बाद उनकी समाधि का पता चलने के बारे में विस्तार से विवरण उपलब्ध है। 

Web Title: Indian World War I Fighter Pilot's Moving Story Emerges In Rare UK Archive

ज़रा हटके से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे