केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को पेश करने वाली है। केंद्रीय कैबिनेट में इस विधेयक को मंजूरी मिल गई है। लेकिन संसद में पेश होने के पहले ही इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर इसको लेकर कई तरह के हैशटैग चल रहे हैं। आज (5 दिसंबर) को नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने के लिए ट्विटर यूजर #Pakistan चला रहे हैं। इस बिल को लेकर ट्विटर पर कई लोगों का कहना है कि ये संविधान की भावना के विपरीत है।
#Pakistan के साथ टीवी पत्रकार बरखा दत्त का एक ट्वीट चर्चा में आ गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिंदा होते तो इस विधेयक के खिलाफ भूख हड़ताल करते। बरखा दत्त ने ट्वीट कर लिखा,'' एक धर्मनिरपेक्ष देश का नागरिकता कानून कभी भी धर्म से संचालित नहीं हो सकता है। यदि गांधी जीवित होते, तो वे इस नागरिकता कानून के खिलाफ उपवास करते। मुसलमानों को भी सताया जाता है। सोचो बलूच, शिया, रोहिंग्या के बारे में। यह बिल उस चीज के खिलाफ है जो हम हैं।''
इसलिए #Pakistan नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आया ट्रेंड में
#Pakistan ट्रेंड में उस वक्त आया जब असम के मंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बिल को लाए जाने के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। एक मीडिया चैनल से बात करते हुए हिमंत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किए गए धार्मिक अत्याचार की वजह से ही भारत को ये बिल लाना पड़ रहा है, जिससे उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता देते हुए यहां की शरण दी जा सके। सरमा ने कहा, 'अगर पाकिस्तान धर्मनिरपेक्ष देश होता, तो भारत को सीएबी की जरूरत ही नहीं पड़ती। पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का ही परिणाम है कि हमें ये करना पड़ रहा है।'
एक वैरिफाइड यूजर ने लिखा, 1947 में भारत से अलग होने के बाद विशेष रूप से मुसलमानों के लिए एक पूरा देश बना जो पाकिस्तान था। पाकिस्तान स्लामिक गणराज्य बना। लेकिन 72 सालों बाद भी पाकिस्तान भारत से और अधिक रक्त और क्षेत्र चाह रहा है। लेकिन राजनीति अतिशयोक्ति के बारे में है। इसलिए राजनेताओं और उनके लोगों को आगे बढ़ना चाहिए।
प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा, तो क्या अब मोदी की भेदभावपूर्ण नीतियों का आधिकारिक औचित्य पाकिस्तान है? आप भारत को एक असफल आतंकी राज्य के स्तर तक कम करना चाहते हैं?
एनडीटीवी के एडिटर अखिलेश शर्मा ने ट्वीट किया, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए बीजेपी द्वारा जाल बिछाया गया है।
आइए समझते हैं आखिर नागरिकता संशोधन बिल है क्या?
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इसी साल 8 जनवरी को यह लोकसभा में पारित हो चुका है।
नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर में ही क्यों होता है ज्यादा विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे देश में लागू किया जाएगा। लेकिन इस विधेयक का ज्यादातर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जैसे, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में विरोध होता रहा है, क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लोग का कहना है कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देती है। मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्य के लोगों की समस्या है कि यहां बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से आकर बस जाते हैं।