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30 साल में अकेले तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदने वाले लौंगी भूइयां को आनंद महिंद्रा ने भेंट की ट्रैक्टर, ट्वीट देख किया था वादा

By विनीत कुमार | Updated: September 20, 2020 09:04 IST

लौंगी भूइयां को महिंद्रा कंपनी की ट्रैक्टर भेंट की गई है। आनंद महिंद्रा ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट कर घोषणा की थी कि उन्हें भूइयां को ट्रैक्टर भेंट कर बहुत खुशी होगी।

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ठळक मुद्देगया के लौंगी भूइयां को महिंद्रा कंपनी की ओर से ट्रैक्टर भेंट की गई, अकेले 3 किलोमीटर लंबी नहर खोदने का किया था कामआनंद महिंद्रा ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट कर इस संबंध में कहा था कि वे लौंगी को ट्रैक्टर भेंट करना चाहेंगे

बिहार के गया जिले में अपने दम पर 30 सालों की कड़ी मेहनत के बाद तीन किलोमीटर लंबा नहर बनाकर चर्चा में आए लौंगी भूइयां को महिंद्रा कंपनी की ओर से शनिवार को ट्रैक्टर भेंट की गई। इस क्षेत्र के महिंद्रा डीलर सिद्धिनाथ विश्वकर्मा के अनुसार आनंद महिंद्रा ने लौंगी भूइयां से जुड़ा एक ट्वीट देखा था और इसके बाद ये कहा था कि उनके लिए भूइयां को ट्रैक्टर देना बड़े सौभाग्य की बात होगी।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार इसके बाद महिंद्रा के एरिया ऑफिस को एक मेल आया जिसमें लौंगी भूइयां को ट्रैक्टर गिफ्ट करने की बात कही गई थी। सिद्धिनाथ ने बताया, 'मैं इस लम्हे का हिस्सेदार बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं। गया का होने के नाते मैं गर्व महसूस कर रहा हूं क्योंकि लौंगी भूइयां जैसे लोग यहां रहते हैं।'   

वहीं, ट्रैक्टर पाने के बाद भूइयां ने कहा, 'मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक ट्रैक्टर उनके पास होगा। आज मैं बहुत खुश हूं।'

बता दें कि लौंगी भूइयां ने एक पहाड़ी से बारिश के पानी को अपने खेत में लाने के लिए तीन किलोमीटर लंबा नहर खोद डाला। ये मामला भी बिहार गया जिले के लहटुआ क्षेत्र के कोठीलावा गांव की है। इसी बात की जानकारी मिलने के बाद आनंद महिंद्रा ने उन्हें ट्रैक्टर देने की बात की थी।

दरअसल, एक इंटरव्यू में लौंगी भूइयां ने कहा भी था कि वे चाहते हैं कि एक ट्रैक्टर उनके पास हो जिससे उन्हें खेती में आसानी हो और आय भी हो सके।

भूइयां पिछले 30 साल से अकेले जंगल जाते थे और नहर खोदते थे। इस दौरान किसी ने उनका साथ नहीं दिया। कोठीवाला गांव चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। ये जिला मुख्यालय गया से करीब 80 किलोमीटर दूर है। ये गांव माओवादियों की शरणस्थली के रूप में भी चिह्नित है।

इस क्षेत्र में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत यहां खेली और पशुपालन है। बारिश के मौसम में पहाड़ों से आने वाला पानी नदियों में बह जाता है। इसे ही लाने के लिए भूइयां ने नहर बनाने की सोची। भूइयां को लगता था कि यह पानी अगर खेतों में आ सके तो इससे कई समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी।

टॅग्स :बिहारआनंद महिंद्रा
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