भारत के इस मंदिर में क्यों फहराया जाता है तिरंगा?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 15, 2017 12:06 IST2017-12-13T16:14:17+5:302017-12-15T12:06:28+5:30

इस मंदिर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती के मौके पर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा सबसे बड़े तिरंगे फहराया गया था।

Why is this tricolor hoisted in this temple of India | भारत के इस मंदिर में क्यों फहराया जाता है तिरंगा?

भारत के इस मंदिर में क्यों फहराया जाता है तिरंगा?

Highlightsमंदिर भगवान शिव को समर्पित हैमंदिर के परिसर में देश के सबसे ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता हैमंदिर से जुड़ी है स्वतंत्रता सेनानियों की जड़ें

झारखंड की राजधानी रांची में स्थित पहाड़ी मंदिर एक खास मंदिर है जो हमारे धर्म और राष्ट्र का प्रतीक है। यहां आपको भगवान की भक्ति के साथ देश प्रेम का भाव भी देखने को मिलेगा। पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पहाड़ की चोटी पर स्थित भगवान शिव के यह मंदिर जो कभी अंग्रेजों के कब्जे में हुआ करता था। इस पहाड़ को पहले फांसी 'टोंगरी' के नाम से जाना जाता था। क्योंकि यहां स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी।

 

मंदिर के बारे में

पहाड़ी मंदिर का निर्माण 1842 में कर्नल ओन्सेल ने कराया था। मंदिर रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूर पर स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2140 मीटर पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 300 सीढियां चढ़नी पड़ती है। पहाड़ की चोटी पर स्थित होने की वजह से यहां का नजारा बेहद ही खूबसूरत होता है। यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का बेहतरीन नराजा देखने को मिलेगा। मंदिर में भगवान शिव के अलावा कई देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थापित हैं। इन मंदिरों में सबसे प्राचीन मंदिर नागराज का मंदिर है। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों का तातां लगा रहता है। पहाड़ी के नीचे एक झील है जिसे रांची झील कहते हैं। भक्त इस झील पर स्नान करके चढ़ाई करते हैं।


15 अगस्त और 26 जनवरी पर खास आयोजन - 

आज से तकरीबन 77 साल पहले इस पहाड़ी मंदिर को टिरीबुरू नाम से जाना जाता था। गुलामी के दिनों में अंग्रेज हमारे देश के क्रांतिकारियों यहीं फांसी पर लटकाते थे। भारत जब आजाद हुआ तब से यहां झंडा फहराने की परंपरा शुरू हुई। सबसे पहले कृष्ण चंद्र दास नामक स्वतंत्रता सेनानी ने झंडा फहराया। तभी से इस मंदिर में स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस झंडा फहराया जाने लगा। कहा जाता है कि जब देश आजाद हुआ था तब भारत में पहली बार यहीं तिरंगा फहराया गया था।  

इस दिन स्वतंत्रता सेनानियों की याद में धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडे को फहराया जाता है। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां तिरंगा फहराया जाता है। पहाड़ी बाबा मंदिर में एक शिलालेख लगा है जिसमें 14 अगस्त, 1947 को देश की आजादी संबंधी घोषणा भी अंकित है। इस शिलालेख में लिखा है कि 14 अगस्त 1947 वृहस्पतिवार की आधी रात में , 15 अगस्त को जब अंग्रेजों की दासता से भारत स्वाधीन हुआ तब रांची के नागरिकों ने पहाड़ी पर यह राष्ट्रध्वज  फहराया गया। यहां कई अन्य शिलालेख हैं जो यहां की इतिहास को दोहराते हैं। 

देश का सबसे ऊंचाई पर स्थित तिरंगा - 

मंदिर के परिसर में देश का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा तिरंगा फहरता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती के मौके पर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा यह तिरंगा फहराया गया था। यह तिरंगा 66 फीट लंबा, 99 फीट चौड़ा है और इसे 293 फीट ऊंचे खंभे पर फहराया गया है। 

Web Title: Why is this tricolor hoisted in this temple of India

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