Yama Deepam 2019: यम दीपम क्या है? जानें शुभ मुहूर्त भी

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: October 24, 2019 08:08 IST2019-10-24T08:08:07+5:302019-10-24T08:08:07+5:30

यमराज ने कहा कि अगर कोई कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को उत्तर दिशा में मुझे दीपदान करे तो अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा। तब से धनतेरस को यमराज की भी पूजा होने लगी और उनके लिए दिए दीपक जलाया जाने लगा।

Yama Deepam 2019: Yama Deepam , know the date, time significance and shubh muhurt | Yama Deepam 2019: यम दीपम क्या है? जानें शुभ मुहूर्त भी

Yama Deepam: तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: Pixabay)

Highlightsयमराज को दिया जाने वाले दीपदान यम दीपम कहलाता है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यम दीपम मुहूर्त आता है।

हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर दिन किसी न किसी विशेष तिथि और उत्सव से जुड़ा है। दिन के बीच में कुछ-कुछ घंटों का भी खास महत्व होता है। इसे आम तौर पर शुभ मुहूर्त कहा जाता है। इसी प्रकार एक शुभ मुहूर्त का नाम है यम दीपम। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, इस मुहूर्त में मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। सीधे-सीधे समझें तो यमराज को दिया जाने वाले दीपदान यम दीपम कहलाता है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यम दीपम मुहूर्त आता है।

इसी दिन देवताओं के चिकित्सक और सभी औषधियों के जनक भगवान धन्वंतरी का जन्म समुंद्र मंथन से हुआ था। धन्वंतरी जयंती के कारण इस तिथि को धनतेरस कहा जाने लगा। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। वहीं, इस तिथि का एक पहलू मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ा है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। 

यम दीपम पौराणिक कथा

कहा जाता है कि एक राजा हेम हुआ करते थे। हेम को एक पुत्र हुआ। उन्होंने योग्य ब्राह्मणों से जब पुत्र की जन्मकुंडली बनवाई तो उसमें उसकी अकाल मृत्यु की भविष्यवाणी छिपी थी। कुंडली में कहा गया था शादी के बाद चौथे दिन युवक की मौत हो जाएगी। राजा हेम ने बेटे को युवतियों से बचाकर रखा और ऐसी जगह भेज दिया जहां उस पर किसी महिला की परछाई तक न पड़े। किस्मत को यह मंजूर नहीं था। एक दिन वहां से एक राजकुमारी निकली। राजकुमारी और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए और गंधर्व विवाह कर लिया। चौथे दिन राजकुमार मर गया। 

यमदूत जब राजकुमार के प्राण लेने आए तो नवविवाहिता राजकुमार जोर-जोर से रो रही थी। राजकुमारी की वेदना ने सुन एक यमदूत भावुक हो गया और उसने अपने स्वामी से पूछा कि महाराज क्या कोई उपाय है जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके। यमराज ने कहा कि अगर कोई कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को उत्तर दिशा में मुझे दीपदान करे तो अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होगा। तब से धनतेरस को यमराज की भी पूजा होने लगी और उनके लिए दिए दीपक जलाया जाने लगा। 

यम दीपम का शुभ मुहूर्त

धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर दिव शुक्रवार से शुरू हो रहा है जोकि शनिवार तक रहेगा। धनतेरस को घर के बाहर और आंगन में दक्षिण दिशा में धर्मराज यमराज के लिए दीपक जलाया जाएगा लेकिन उसका धार्मिक संस्कार शनिवार 26 अक्टूबर को किया जाएगा। राजधानी दिल्ली में इस बार यम दीपम के लिए शुभ मुहूर्त शनिवार 26 अक्टूबर को है। यम दीपम का शुभ समय शाम 5:37 बजे से 6:55 बजे तक है, जिसकी अवधि 1 घंटा 17 मिनट है। 

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