किसी भी पूजा में क्यों नहीं इस्तेमाल होता प्याज-लहसुन, जानिए समुद्र मंथन से जुड़ी रोचक कहानी

By मेघना वर्मा | Updated: December 5, 2019 17:26 IST2019-12-05T12:33:23+5:302019-12-05T17:26:33+5:30

प्याज भले ही भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग हो मगर कभी किसी पूजा-पाठ या अनुष्ठान में इसका प्रयोग वर्जित बताया जाता है। बहुत से लोग उपवास के दिन प्याज का इस्तेमाल नहीं करते।

why onion and garlic avoid in worship what is tamasic food samudra manthan story about onion and garlic | किसी भी पूजा में क्यों नहीं इस्तेमाल होता प्याज-लहसुन, जानिए समुद्र मंथन से जुड़ी रोचक कहानी

किसी भी पूजा में क्यों नहीं इस्तेमाल होता प्याज-लहसुन, जानिए समुद्र मंथन से जुड़ी रोचक कहानी

Highlightsआयुर्वेद में खाने की चीजों को तीन भागों में बांटा गया है।माना जाता है कि जमीन के नीचे उगने वाले पौधों से सूक्ष्मजीवों की मौत होती है।

इस समय पूरा देश प्याज के दामों पर आंसू बहा रहा है। संसद में प्याज के दाम का मुद्दा सबसे बड़ा बना हुआ है। वहीं नेता और राजनेता प्याज पर बयान बाजी भी कर रहे हैं। प्याज भले ही भारतीय रसोई का एक अभिन्न अंग हो मगर कभी किसी पूजा-पाठ या अनुष्ठान में इसका प्रयोग वर्जित बताया जाता है। बहुत से लोग उपवास के दिन प्याज का इस्तेमाल नहीं करते। कई ब्राह्मण समाज प्याज और लहसुन खाने से भी परहेज करते हैं, पर क्या आप जानते हैं किसी भी पूजा में प्याज का उपयोग क्यों नहीं किया जाता? आइए हम बताते हैं इसके पीछे की आध्यात्मिक कहानी।

आयुर्वेद में खाने की चीजों को तीन भागों में बांटा गया है। एक सात्विक, एक राजसिक और एक तामसिक। इंसान की मानसिक स्थियों के आधार पर इन भागों को बांटा गया है-
सात्विक - मन की शांति, संयम और पवित्रता जैसे गुण
राजसिक - जुनून और खुशी
तामसिक - अंहकार, क्रोध, जुनून और विनाश

वहीं प्याज को राजसिक और तामसिक रूप में बांटा गया है। जिसका मतलब होता है अज्ञानता में वृद्धि करना। माना जाता है कि जमीन के नीचे उगने वाले पौधों से सूक्ष्मजीवों की मौत होती है। इस वजह से व्रत के दिनों में प्यार को नहीं खाया जाता। वहीं सनातन धर्म के अनुसार वेद और शास्त्रों में बताया गया है कि प्याज, जुनून, उत्तेजना और अज्ञानता को बढ़ावा देती है इसलिए किसी भी व्रत या उपवास में इसका सेवन नहीं किया जाता।

समुद्र मंथन से जुड़ी है कहानी

लोक कथाओं की बात करें तो बताया जाता है कि समुद्र मंथन के बाद जब भगवान विष्णु सभी देवताओं को अमृत बांट रहे थे तब राक्षस राहु और केतु भी अमृत पाने के लिए छल से वहां आ गए। भगवान विष्णु ने उन्हें भी अमृत का पान करवा दिया। मगर जैसे ही देव चंद्रमा ने भगवान विष्णु को बताया कि वो दोनों राक्षस है उसी समय भगवान विष्णु ने दोनों का धड़ सिर से अलग कर दिया। 

उस समय तक राहु और केतु के गले के नीचे अमृत नहीं पहुंचा था। इसीलिए उनके धड़ से फौरन जान निकल गई। मगर उनका सिर अमर हो गया। वहीं गले से निकला अमृत जमीन के जिस हिस्से पर गिरा वहां से प्याज और लहसुन के पौधे। अब चूंकि यह सब्जियां अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में कारगर हैं। मगर यह राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं इसलिए इनमें तेज गंध है और ये अपवित्र मानी जाती हैं। 

English summary :
According to Ayurveda, food are divided into three category. Satvik, Rajasik and Tamasic. These category are divided on the basis of human mental states.


Web Title: why onion and garlic avoid in worship what is tamasic food samudra manthan story about onion and garlic

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