लाइव न्यूज़ :

क्या होता है चंद्र ग्रहण, क्यों लगता है? जानें धार्मिक, विज्ञान और ज्योतिषीय नजरिये से

By गुणातीत ओझा | Updated: June 26, 2020 19:27 IST

इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण पांच जुलाई को लग रहा है। चंद्र ग्रहण की अवधी लगभग पौने तीन घंटे से कम रहेगी।  आइये आपको बताते हैं ग्रहण के बारे में धार्मिक, विज्ञान और ज्योतिषीय मान्यताओं के बारे में...

Open in App
ठळक मुद्देचंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक और ज्योतिषीय नजरिये से विशेष महत्व होता है। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है।धार्मिक और ज्योतिष के अनुसार ग्रहण का व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है।

Lunar Eclipse: चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक और ज्योतिषीय नजरिये से विशेष महत्व होता है। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। धार्मिक और ज्योतिष के अनुसार ग्रहण का व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण पांच जुलाई को लग रहा है। चंद्र ग्रहण की अवधी लगभग पौने तीन घंटे से कम रहेगी।  आइये आपको बताते हैं ग्रहण के बारे में धार्मिक, विज्ञान और ज्योतिषीय मान्यताओं के बारे में...

ग्रहण की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए युद्ध शुरू होने लगा, तब इस स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी के इस मनमोहक रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे और तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन ठीक उसी समय एक असुर भगवान विष्णु की इस चाल को समझ गया और वह असुर छल से देवताओं की लाइन में जाकर बैठ गया और अमृत पान करने लगा।

भगवान विष्णु ने धड़ से अलग कर दिया दानव का सिर

देवताओं की पंक्ति में बैठे सूर्य और चंद्रमा ने इस दानव को ऐसा करते हुए देख लिया और इस बात की जानकारी भगवान विष्णु को दे दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं। इसे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।

राहु और केतु लेकर आते हैं परेशानियां

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है।  कुंडली में राहु-केतु अगर बुरे भाव में जाकर बैठ जाएं तो उसको जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूर्य और चंद्रमा भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाते। 

विज्ञान और चंद्र ग्रहण

विज्ञान के अनुसार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। पृथ्वी और चंद्रमा घूमते-घूमते एक समय पर ऐसे स्थान पर आ जाते हैं जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में रहते हैं। जब पृथ्वी घूमते-घूमते सूर्य व चंद्रमा के बीच में आ जाती है। चंद्रमा की इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती है इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।

टॅग्स :चन्द्रग्रहणचंद्रमाज्योतिष शास्त्रभगवान विष्णुधार्मिक खबरें
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार

पूजा पाठPanchang 03 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी