Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत कब है? जानें तिथि, व्रत विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: May 20, 2025 19:14 IST2025-05-20T16:11:36+5:302025-05-20T19:14:59+5:30

विवाहित महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत का पौराणिक महत्व ये है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा की बदौलत ही यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे।

Vat Savitri Vrat 2025: When is Vat Savitri Vrat? Know the date, method of fasting and importance | Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत कब है? जानें तिथि, व्रत विधि और महत्व

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत कब है? जानें तिथि, व्रत विधि और महत्व

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म का एक पावन त्यौहार है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थीं। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। 

कब है वट सावित्री व्रत 2025?

वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत 26 मई सोमवार को रखा जाएगा। 

वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त 

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 26, 2025 को 12:11 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 27, 2025 को 08:31 ए एम बजे

वट सावित्री व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद सोलह शृंगार करें। अब सभी पूजन सामग्रियों को इकट्ठा कर किसी बांस से बनी टोकरी या पीतल के पात्र में रख लें। फिर पहले घर में पूजा करें, सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। अब वट वृक्ष को जल अर्पित करें। फिर देवी सावित्री को वस्त्र व सोलह श्रृंगार अर्पित करें। फल-फूल अर्पित करने के बाद वट वृक्ष को पंखा झेलें। रोली से पेड़ की परिक्रमा करें और फिर सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा ध्यानपूर्वक सुनें। इसके बाद दिन भर व्रत रखें।

वट सावित्री व्रत का महत्व

विवाहित महिलाओं के द्वारा अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। इस व्रत का पौराणिक महत्व ये है कि इस दिन माता सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा की बदौलत ही यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही तपस्या की थी, इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा। हिंदू धार्मिक शास्त्रों में बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है।

Web Title: Vat Savitri Vrat 2025: When is Vat Savitri Vrat? Know the date, method of fasting and importance

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