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Vat Purnima Vrat 2025: वट पूर्णिमा व्रत कल, आज ही जान लें शुभ मुहूर्त और व्रत नियम

By रुस्तम राणा | Updated: June 9, 2025 15:08 IST

धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा सौभाग्य प्राप्ति, दांपत्य जीवन में खुशहाली और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है।

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Vat Purnima Vrat 2025: वट पूर्णिमा व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे सुहागिन महिलाओं के द्वारा किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा सौभाग्य प्राप्ति, दांपत्य जीवन में खुशहाली और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इससे उनके सुहाग पर आने वाली समस्त प्रकार की विपदा एवं संकट टल जाते हैं। साथ ही पति की लंबी आयु प्राप्त होती है। इस साल यह व्रत 10 जून, मंगलवार को किया जाएगा। 

वट पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट परपूर्णिमा तिथि समाप्त - 11 जून को दोपहर 01 बजकर 13 मिनट पर ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 23 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक 

वट पूर्णिमा व्रत नियम

1. इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. अब व्रत का संकल्प लें।3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।7. फल-मिठाई अर्पित करें। 7. धूप-दीप दान करें।7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।9. अब व्रत कथा पढ़ें।10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

वट पूर्णिमा व्रत का धार्मिक महत्व

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसमें देवी-देवताओं का वास होता है। यह वृक्ष पूजनीय है। पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थीं। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।

टॅग्स :वट पूर्णिमाहिंदू त्योहार
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