वट पूर्णिमा व्रत करने से मिलते हैं ये 3 लाभ, जानें व्रत और पूजा विधि

By गुलनीत कौर | Published: June 27, 2018 07:55 AM2018-06-27T07:55:44+5:302018-06-27T07:55:44+5:30

वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए वट पूर्णिमा पर इस वृक्ष की पूजा करने से इन तीनों देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

Vat Purnima Vrat 2018: Significance, Puja vidhi, tithi, vrat katha in hindi | वट पूर्णिमा व्रत करने से मिलते हैं ये 3 लाभ, जानें व्रत और पूजा विधि

वट पूर्णिमा व्रत करने से मिलते हैं ये 3 लाभ, जानें व्रत और पूजा विधि

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के अलावा पशु-पक्षियों और यहां तक कि पेड़-पौधों की पूजा का अभी बेहद महत्व है। इस धर्म में हर घर के आँगन में तुलसी का पवित्र पौधा लगाने का महत्व है। हिन्दू धर्म में वट के वृक्ष को भी पूजनीय माना गया है। वट यानी बरगद का पेड़। शास्त्रों में वट वृक्ष की पूजा और इस वृक्ष का ध्यान करते हुए व्रत करने को भी महत्पूर्ण माना गया है। मान्यता यह भी है कि वट के वृक्ष का व्रत करने से महिलाओं के सुहागा की रक्षा होती है। संतान प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन की भी प्राप्ति होती है। 

वर्ष 2018 में 27 जून को वट पूर्णिमा है। इसदिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष का ध्यान करके व्रत करती हैं। यह व्फ्रत हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को ही रखा जाता है। मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए वट पूर्णिमा पर इस वृक्ष की पूजा करने से इन तीनों देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

अजीब है यह परम्परा, देश के इन हिस्सों में बारिश के लिए करवाई जाती है मेढ़क की शादियां

वट पूर्णिमा व्रत की विधि:

- पूर्णिमा तिथि की सुबह महिलाएं जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर श्रृंगार सहित तैयार हो जाएं
- इसके बाद व्रत आरम्भ होता है और शाम तक भोजन ग्रहण करने की मनाही होती है
- शाम को पूजा करने से पहले वट वृक्ष के नीचे अच्छी तरह सफाई कर लें
- सफाई करने के बाद वृक्ष के नीचे सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां स्थापित करके उस पर लाल वस्त्र चढ़ाएं
- एक बांस की टोकरी लें और उसमें सात तरह के अनाज भर के लाल वस्त्र से ढककर मूर्तियों के सामने रख दें
- मूर्तियों के आगे धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत (चावल), मौली, आदि चीजें रख दें
- इन सभी वस्तुओं का इस्तेमाल कर सत्यवान और सावित्री की एक-एक करके पूजा करें
- पूजा समाप्त होने के बाद मौली के धागे को सीधे हाथ में पकड़ें और वृक्ष पर लपेटते हुए परिक्रमा करें। ऐसा 7 बार करना है
- इसके बाद पंडित जी से व्रत की कथा सुनें और अंत में उन्हें दक्षिणा दें
- व्रती चाहे तो इसके बाद कुछ जरूरतमंद लोगों को मन मुताबिक वस्तुएं या भोजन दान भी किया जा सकता है
- कथा के बाद सुहागिन महिलाएं घर के बड़ों का आशीर्वाद लें और फिर मिठाई खाकर व्रत समाप्त करें

Web Title: Vat Purnima Vrat 2018: Significance, Puja vidhi, tithi, vrat katha in hindi

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे