लाइव न्यूज़ :

Aja Ekadashi 2019: अजा एकादशी का व्रत कल, जानिए पूजा विधि और इसका महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 25, 2019 15:48 IST

Aja Ekadashi: अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल मिलता है।

Open in App
ठळक मुद्देअजा एकादशी का व्रत इस बार 26 अगस्त को पड़ रहा हैअजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व

Vaishnva Aja Ekadashi: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला अजा एकादशी का व्रत इस बार 26 अगस्त (सोमवार) को पड़ रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक बाद पड़ने वाले इस व्रत को कामिका या आन्नदा एकादशी भी कहा जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी के इस व्रत में भगवान के 'उपेंद्र' स्वरूप की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन रात में जागरण की भी परंपरा है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से तमाम समस्याएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

Aja Ekadashi: अजा एकादशी व्रत का महत्व

मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल मिलता है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से ही राजा हरिशचंद्र को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था और मृत पुत्र भी फिर से जीवित हो गया था। यह भी मान्यता है कि इस व्रत करने से एक हजार गोदान करने के समान फल मिलते हैं।

Aja Ekadashi: अजा एकादशी व्रत की विधि

अजा एकादशी व्रत के दिन साधक को तड़के सूर्य उदय से पहले जगना चाहिए। इसके बाद घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। साथ ही गोमूत्र का छिड़काव घर में करें। इसके उपरांत शरीर पर तिल और मिट्टी का लेप लगाकर कुशा से स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर पूजा की तैयारी शुरू करें। साधक को सबसे पहले एकादश व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन उपवास रखें और विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करें। दिनभर में आप एक बार अगर चाहें तो फलाहार कर सकते हैं।

अजा एकादशी की पूजा के लिए घर में पूजा के स्थान पर या पूर्व दिशा में किसी साफ जगह पर गोमूत्र छिड़के और वहां गेंहू रखें। इस पर तांबे का लोटा यानी कलश रखें। लोटे को जल से भरे और उस पर अशोक के पत्ते या डंठल वाले पान के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें। इस तरह कलश की स्थापना करते हुए पास में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें और उनकी पूजा करें। इस दौरान दीपक जलाए रखें और फिर अगले दिन कलश को हटा लें। इसके बाद कलश में रखा हुआ पानी पूरे घर में छिड़कें और जो पानी बच जाता है उसे तुलसी के पौधे में डाल दें।

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णु
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

भारतCJI गवई ने कड़ी आलोचना के बाद 'भगवान विष्णु से पूछो' वाले बयान पर सफाई दी, कहा 'मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

पूजा पाठJanmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ

पूजा पाठKamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी व्रत 20 या 21 जुलाई को, जानें सही तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

पूजा पाठChaturmas 2025: कब से शुरू हो रहा है चतुर्मास 2025, जानें महत्व और क्या करें क्या नहीं

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय