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Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi: 10 नवंबर को है बैकुंठ चतुर्दशी, जानिए इसकी सही पूजा विधि

By मेघना वर्मा | Updated: November 3, 2019 10:26 IST

Vaikunth Chaturdashi Puja Vidhi In Hindi: शास्त्रों की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शरीर को त्याग देने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और विष्णु की उपासना करता है उसके जीवन के सभी पाप कट जाते हैं।

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ठळक मुद्देइस साल बैकुंठ चतुर्दशी 10 नवंबर को पड़ रही है। पुराणों के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। 

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी की काफी मान्यता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की उपासना की जाती है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की नींद से जागते हैं। इसी के बाद आने वाली बैकुंठ चतुर्दशी के दिन लोग भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ती होती है।

क्या है बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

शास्त्रों की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शरीर को त्याग देने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो व्यक्ति इस दिन भगवान शिव और विष्णु की उपासना करता है उसके जीवन के सभी पाप कट जाते हैं। पुराणों के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। 

मृत व्यक्तियों का करवाया था श्राद्ध

बैकुंठ चतुर्दशी की हमारे शास्त्रों में सबसे ज्यादा महत्ता बताई गई है। मान्यता है कि इसी दिन महाभारत के युद्ध के बाद उसमें मारे गए लोगों का भगवान श्री कृष्ण ने उन व्यक्तियों का श्राद्ध करवाया था। इसलिए इस दिन श्राद्ध तर्पण करने को भी विशेष महत्व दिया जाता है। बैकुंठ धाम को प्राप्त करने के लिए लोग इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा-पाठ करते हैं।

कब है बैकुंठ चतर्दशी

बैकुंठ चतुर्दशी 2019 तिथि- 10 नवंबर 2019 बैकुंठ चतुर्दशी 2019 वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल - रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक (11 नवम्बर 2019) चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - शाम 4 बजकर 33 मिनट से (10 नवंबर 2019) चतुर्दशी तिथि समाप्त - अगले दिन शाम 6 बजकर 2 मिनट तक (11 नवंबर 2019)

बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि

1. इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें।2. एक साफ चौकी पर श्री विष्णु की प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करें। 3. इसके बाद श्रीविष्णु को कमल के फूल अर्पित करें।4. भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के फलदायी नहीं होती तो इसीलिए उन्हें तुलसी का दल भी अर्पित करें।5. इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र और श्री सूक्त का पाठ करें। 6. इस दिन बैकुंठ चतुर्दशी की कथा अवश्य सुनें। 7. कथा सुनने के बाद भगवान विष्णु की धूप व दीप से आरती उतारें। उन्हें चंदन अर्पित करें।8. आरती उतारने के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएं। 9. इसके बाद यह प्रसाद सभी में बांट दें।

टॅग्स :पूजा पाठभगवान विष्णुहिंदू त्योहार
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