पटना: पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनवाये जा रहे दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर अब अपने मूर्तरूप की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस मंदिर निर्माण के मामले में महावीर मंदिर ट्रस्ट दिल्ली में बने रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से प्रेरणा लेकर निर्माण कार्य को ऐसे वैज्ञानिक तरीके से करना चाहता है कि मंदिर की उम्र कम से कम 250 वर्षों तक रहे और इस निमार्ण कार्य के लिए ट्रस्ट बाकायदा टेंडर निकाल निकाल कर इस कार्य को प्रारंभ करने की योजना पर काम कर रहा है।
ट्रस्ट की ओर दी गई जानकारी के मुताबिक पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया में परिकल्पना के आधार पर प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर बनने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बन सकता है।
इस मामले में जानकारी देते हुए महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा, "विराट रामायण मंदिर के निर्माण कार्य में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ कंपनियां अपनी सेवाएं दे सकती हैं क्योंकि ट्रस्ट उनकी विशेषज्ञता का लाभ लेते हुए मंदिर को कम से कम 250 साल की लंबी अवधि की मजबूती के साथ बनाना चाहता है। इसके लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के पूर्व महानिदेशक मोहित कुमार जायसवाल को परियोजना के लिए टेक्निकल कमेटी का चीफ एडवाइजर बनाया गया है क्योंकि ट्रस्ट इस भव्य मंदिर के निर्मााण में किसी भी तरह से कोई समझौता नहीं करना चाहता है।"
उन्होंने कहा कि नवंबर 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महावीर मंदिर में रामायण मंदिर मॉडल का अनावरण किया था। हालांकि, कंबोडिया सरकार ने मंदिर के मॉडल पर भारत सरकार से अपनी आपत्ति व्यक्त की थी, जिसके कारण इस परियोजना में विलंब हो गया।
कंबोडियाई सरकार ने इसके डिजाइन का विरोध करते हुए दावा किया कि प्रस्तावित रामायण मंदिर 12वीं शताब्दी के अंगकोर वाट मंदिर की नकल है। अंगकोर वाट एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर की परियोजना स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के साथ ही शुरू होने वाली थी लेकिन परियोजना में अंतरराष्ट्रीय परेशानी और भूमि अधिग्रहण के कारण इसमें विलंब हो गया जबकि साल 2018 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तैयार भी हो गई।
भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने आगे बताया कि अब मंदिर के डिजाइन में जरूरी बदलाव कर दिया गया, जिसपर कंबोडिया को आपत्ति थी, लिहाजा एक दो महीने के भीतर मंदिर निर्माण का काम तेजी से शुरू हो जाएगा। इसके लिए ट्रस्ट ने 100 एकड़ का अधिग्रहण कर लिया है, जिसमें से 25 एकड़ भूमि के पैसे का भुगतान होना है। इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए ग्रीन ट्रिब्यूनल से भी मंजूरी मिल गई है।
किशोर कुणाल ने बताया कि पटना ने 130 किलोमीटर दूर केसरिया के पास जानकी नगर में बनने वाले 270 फीट ऊंचे इस मंदिर में कुल 13 गुंबद होंगे और मंदिर में भगवान राम, सीता, लव और कुश की मूर्तियां स्थापित होंगी। इसके अलावा मंदिर के सामने बनने वाले हॉल में 20 हजार लोगों के बैठने की क्षमता होगी।
इसके साथ ही रामायण मंदिर में बनने वाले शिव मंदिर में 250 मीट्रिक टन वजन, 33 फीट ऊंचाई और 33 फीट चौड़ाई वाला देश का सबसे बड़ा शिव लिंग भी स्थापित होगा। मौजूदा समय में सबसे बड़ा शिव लिंग तंजावुर (तमिलनाडु) में है, जिसे चोल वंश के राजा राजराजा ने बनवाया था।
किशोर कुणाल ने कहा कि चेन्नई के पास महाबलीपुरम में शिव लिंग बनाया जा रहा है। इसे पूर्वी चंपारण के केसरिया तक लाने में काफी मुश्किल होगी, लेकिन मंदिर का ट्रस्ट इसे लेकर आयेगा और देश का सबसे बड़ा शिवलिंग केसरिया में स्थापित होगा।