शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दिन किसी पेड़ से पत्ते, फूल और लकड़ी नहीं तोड़नी चाहिए। इसके अलावा बाल और कपड़े भी नहीं निचोड़े जाने चाहिए।
सूर्य ग्रहण को लेकर मान्यता यह भी है कि ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए।
मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के समय अगर दूसरे व्यक्ति का अन्न खा लिया जाए, तो इससे 12 वर्षों का इकट्ठा किया हुआ सारा पुण्य नष्ट हो जाता है। वहीं यह भी कहा गया है कि इस समय गुरुमंत्र, ईष्टमंत्र या फिर भगवन्नाम का जप जरूर करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय ताला नहीं खोलना चाहिए। मैथुन और भोजन भी नहीं करना चाहिए। इस दौरान सोना भी नहीं चाहिए और मलमूत्र का त्याग करने से भी बचना चाहिए।
शास्त्रों में सूर्य ग्रहण के दौरान कई पुण्य काम करने का जिक्र किया गया है। गायों को घास, पक्षियों को अन्न के साथ ही जरूरतमंदों को वस्त्र का दान दिया जाए, तो इसका अच्छा फल मिलता है।
सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ज्यादा एहतियात बरतनी चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास किया जाए, तो इसका अच्छा फल प्राप्त होता है। संतान वाले गृहस्थ व्यक्ति को सूर्य ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
ग्रहण की शुरुआत में तिल या कुशमिश्रित पानी के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए। बहुत ही जरूरी हो तभी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा सूर्य ग्रहण शुरू होने से लेकर इसके अंत तक अन्न और जल भी नहीं ग्रहण करना चाहिए।