Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण के साथ आज अमावस्या भी, जानिए कब से कब है अमावस्या तिथि और करें कौन सा काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 2, 2019 11:16 AM2019-07-02T11:16:19+5:302019-07-02T11:18:39+5:30

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृदेव अमावस्या तिथि के स्वामी हैं। इस लिहाज से इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का बड़ा महत्व है।

Solar Eclipse 2019 and bhaumvati amavasya time in india and puja method | Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण के साथ आज अमावस्या भी, जानिए कब से कब है अमावस्या तिथि और करें कौन सा काम

भौमवती अमावस्या का महत्व

Highlightsअषाढ़ अमावस्या को माना जाता है शुभ, पितरों की शांति के लिए पूजा का विशेष महत्वअमावस्या तिथि 2 जुलाई को आधी रात 12.30 बजे खत्म हो जाएगी

Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण के साथ-साथ आज भौमवती अमावस्या भी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगलवार को पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन विशेष तौर पर पितरों की शांति के लिए पूजा का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास में पड़ने वाले इस अमावस्या के साथ एक साथ संयोग ये भी आज ही सूर्य ग्रहण भी है जो भारतीय समय के अनुसार आधी रात को शुरू होगा। रात होने के कारण सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। भारत में नहीं दिखाई देने वाला यह सूर्य ग्रहण लगभग 4 घंटे और 55 मिनट का होगा। ग्रहण 2 जुलाई की रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होगा और 3 जुलाई की सुबह 3 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। बहरहाल, हम आपको बताने जा रहे हैं आषाढ़ माह में पड़ रहे भौमवती अमावस्या का महत्व और क्या करना चाहिए इन दिन....

 अषाढ़ अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृदेव अमावस्या तिथि के स्वामी हैं। इस लिहाज से इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का बड़ा महत्व है। आषाढ़ में पड़ने वाली अमावस्या इसलिए भी खास है क्योंकि इस महीने को वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है और इसलिए इसे शुभ माना जाता है। यही वजह है कि आषाढ़ी अमावस्या के मौके पर नदियों के तट पर बड़ी संख्या में लोग पितृकर्म संपन्न करने के लिए जमा होते हैं।

अमावस्या तिथि का प्रारंभ कब से है

आषाढ़ के इस भौमवती अमावस्या की शुरुआत 1 जुलाई को मध्यरात्रि के बाद 3.05 से शुरू हो गई है और यह 2 जुलाई की रात 00.46 तक रहेगा।

अमावस्या पर क्या करें

- इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंडदान आदि कराना चाहिए। आप इसके लिए किसी पंडित जी की सलाह ले सकते हैं।

- भौमवती अमावस्टा पर त्रुटि निदान भी होता है। मसलन, अगर किसी कारण से पितरों का काम ठीक से नहीं हो पाया है या कोई गलती हो गई हो तो इस दिन पिंडदान करने से ये दूर होते हैं।

- आषाढ़ अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर में चमेली के तेल, सिंदूर चढ़ाना चाहिए। साथ ही शनि के मंत्रों का जाप करें। इससे शनि ग्रह या मंगल ग्रह के दोष से छुटकारा मिलेगा। 

- अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा का भी महत्व है। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। इससे समृद्धि आती है और साथ ही रोगों से भी आप दूर रहते हैं।

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