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सीता नवमी 2020: माता सीता की थीं 3 बहनें, किसी ने दिया पति का साथ तो कोई 14 वर्षों तक रही पति से दूर

By मेघना वर्मा | Updated: May 1, 2020 09:47 IST

माता सीता अपने त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती हैं। त्रेता युग में सीता मां का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र भगवान श्री राम से हुआ था।

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ठळक मुद्देसीता माता की बहन मांडवी, दशरथ पुत्र भरत से ब्याही थीं।श्रुतकीर्ति भी राजा जनक के छोटे भाई की बेटी थीं।

मां सीता हमेशा ही अपने त्याग और बलिदान के लिए जानी गईं। राजा जनक की बेटी और मिथिला की राजकुमारी ने अपने जिंदगी में कई कुष्ट झेले मगर कभी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ा। आज माता सीता की नवमी मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन मां सीता ने जन्म लिया था। 

माता सीता अपने त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती हैं। त्रेता युग में सीता मां का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र भगवान श्री राम से हुआ था। शादी के बाद ही माता सीता को भगवान राम के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए जाना पड़ा था।

मिथिला की देवी राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री सीता के भाी-बहनों का जिक्र भी वाल्मीकि रामायण में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार मां सीता की एक बहन हैं उर्मिला। वहीं मांडवी और श्रुतकीर्ति राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थीं। 

उर्मिला

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, उर्मिला, माता सीता की छोटी बहन थीं। सीता का विवाह जहां राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम से हुई थी तो वहीं उर्मिला का ब्याह राम के छोटे भाई लक्ष्मण से मिलता है। रामायण की कथा में उर्मिला और लक्ष्मण का संवाद भी सुनने को मिलता है। 

जिस समय राम और सीता के साथ लक्ष्मण वनवास जाने लगे तो पत्नी उर्मिला भी उनके साथ जाने कि जिद करने लगीं। मगर लक्ष्मण ने उन्हें ये कहकर मना किया कि अयोध्या के राज्य की माताओं को उनकी आवश्यकता है। उर्मिला ने भी पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों को निभाया। 

मांडवी

सीता माता की बहन मांडवी, दशरथ पुत्र भरत से ब्याही थीं। मांडवी राजा जनक के छोटे भाई कुशध्वज की बेटी थीं। लोक कथाओं के अनुसार मांडवी साध्वी के रूप में रहती थीं। बताया जाता है कि भरत, अयोध्या में नहीं बल्कि नंदीग्राम में रहते थे। और मांडवी पति के भाई के प्रति समर्पण का पूरा सम्मान करती थीं। 

श्रुतकीर्ति

श्रुतकीर्ति भी राजा जनक के छोटे भाई की बेटी थीं। इनका जन्म भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न से हुआ था। हलांकि श्रुतकीर्ती का रामायण में ज्यादा जिक्र नहीं मिलता। मगर बताया जाता है कि शत्रुघ्न और श्रुतकीर्ति के दो पुत्र हुए। जिनके नाम थे शत्रुघति और सुबाहु।

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