आज है शनि प्रदोष व्रत, नि: संतान ऐसे करें शनि देव की उपासना
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 30, 2017 09:47 IST2017-12-30T09:45:58+5:302017-12-30T09:47:23+5:30
शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रकोप को झेल रहे लोगों के आज के दिन व्रत-पूजन जरूर करना चाहिए

आज है शनि प्रदोष व्रत, नि: संतान ऐसे करें शनि देव की उपासना
हर महीने में हिंदू पंचाग के अनुसार त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस महीने में प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। शनिवार को पड़ने वाले व्रत को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। धार्मिक नजरिए से यह प्रदोष व्रत कई मायनों में खास है क्योंकि शनिवार भगवान शनि का दिन माना जाता है। इस दिन शनि देव की कृपा बनी रहती है तो आप अपने कष्टों को दूर करने के लिए भगवान शनि देव की उपसाना कर सकते हैं। शनि देव की उपासना करने के लिए शनि की साढ़ेसाती जैसे भयानक दोष से बचा जा सकता है।
संतान का सुख पाने के लिए दंपतियों के लिए शनिवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत लाभकारी होता है। इससे उनकी इच्छापूर्ति होती है और संतान सुख के संकेत बनते हैं।
क्या है प्रदोष व्रत?
शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य मिलता है। प्रदोष व्रत में भगवान की कृपा बनी रहती है। प्रदोष व्रत महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अगर प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है तो इसे 'प्रदोषम' कहते हैं। अगर मंगलवार को पड़ता है तो 'भौम प्रदोषम' और शनिवार को पड़ता है तो 'शनि प्रदोषम' कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन निराहार रहकर शाम में स्नान करने के बाद भगवान शिव के मंदिर जाकर पूजा की जाती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
नौ साल से प्रदोष व्रत रखने वाली इलाहाबाद की माला वर्मा ने बताती है कि वह भगवान शिव की आराधना और मन की शांति के लिए प्रदोष व्रत रखती हैं। शाम में भगवान शिव के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना के बाद वह शिव की कथाएं कहती है। उसके बाद अन्न ग्रहण करती हैं। उनका मानना है कि इस व्रत से मोक्ष, धन, यश और परिवार का कल्याण और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
नौ सामाग्री से सम्पन्न होती है शिव की आराधना- प्रदोष व्रत में भगवान शिव के मंदिर में नौ समाग्रियों को चढ़ाने का विधान है। इसमें सफेद जनेऊ, बेलपत्र, सफेद बर्फी, सफेद फूल, रुद्राक्ष, कच्चा दूध, फल, अगरबत्ती, शहद जैसे चीजें शामिल हैं। प्रदोष व्रत के दौरान शिव के मंदिर में शाम में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोग बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं।