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कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास होता है सावन, जानें भगवान शिव की कैसे करें पूजा

By गुणातीत ओझा | Updated: July 10, 2020 13:49 IST

Sawan Somvar 2020: शास्त्रों में सावन के सोमवार के दिन व्रत का बड़ा महात्म बताया गया है। शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि सावन के सोमवार (Sawan Somvar) का कुंवारी लड़कियों को भी व्रत रखना चाहिए। कुंवारी लड़कियों (Unmarried Girls) को सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा वर (Husband) प्राप्त होता है।

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ठळक मुद्देसावन भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित महीना है। सावन के महीने में आयोजनों, अनुष्ठानों और भजन पूजन का महत्व शास्त्रों में वर्णित है।सावन के महीने में सोमवार (Sawan Somvar) के व्रत का विधान है। 16 सोमवार के व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है।

सावनभगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित महीना है। सावन के महीने में आयोजनों, अनुष्ठानों और भजन पूजन का महत्व शास्त्रों में वर्णित है। इस महीने में भक्त अलग-अलग तरीके से भगवान शिव की पूजा करते हैं। सावन के महीने में सोमवार (Sawan Somvar) के व्रत का विधान है। 16 सोमवार के व्रत से हर मनोकामना पूरी होती है। शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) लेकर निकलते हैं और भगवान को जल चढ़ाते हैं। इस साल कोरोना (Corona) महामारी की वजह से कांवड़ यात्रा पर रोक है।

जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही है या शादी में बाधा आ रही है, उन कुंवारी लड़कियों (Unmarried Girls) को भगवान शिव का व्रत पूजन जरूर करना चाहिए। सावन के सोमवार का महत्व कुंवारी लड़कियों के लिए विशेष होता है। मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है और उनका आने वाला शादीशुदा जीवन अच्छे से बीतता है। आइए जानते हैं महिलाओं और कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग की पूजा कैसे करनी चाहिए...

कैसे करें भगवान शिव की पूजा

सावन के सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। मान्यता है कि मां पार्वती और भगवान शिव को साफ-सफाई बहुत पसंद है। सावन के पूरे महीने अपने घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सफाई करने के बाद स्नान करें। स्नान के पानी में काला तिल या गंगा जल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात हल्के रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग घर पर भी बनाया जा सकता है।

अब शिवलिंग पर जल या पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक के पश्चात धतूरा, भांग बेलपत्र, जनेऊ चढ़ाएं। पूजा के पश्चात स्फटिक की माला ले और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। भगवान शिव को हल्दी और तुलसी के पत्ते कभी न चढ़ाएं। सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए पांच माला का जाप करें और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए पांच माला का जाप ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ करें।

पूजा की थाली में 4 या 8 हरी चूड़ियां जरूर रखें। थाली में रखी हरी चूड़ियों को माता पार्वती को चढ़ाएं। पूजा के बाद हरी चूड़ियों को अपने हाथों में पहनें। इससे पति-पत्नी के बीच मधुर संबध बना रहता है।

सावन के सोमवर की मान्यता

माना जाता है कि माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी बनाया था। तब से ही सुखी दांपत्य की कामना से सावन में हरियाली तीज मनाने की परंपरा शुरू हो गई। सावन का आखिरी दिन श्रावण पूर्णिमा रक्षाबन्धन के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले श्रावणी अर्थात जनेऊ बदलने और पितरों को स्मरण करने के रूप में मनाया जाता है। साथ ही एक हेमाद्रि संकल्प नाम से एक कर्मकांड भी संपन्न करते हैं।

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