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Sawan Shivratri 2023: सावन शिवरात्रि पर बनेंगे दो शुभ योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र

By रुस्तम राणा | Updated: July 7, 2023 13:58 IST

हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह तिथि श्रावण मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होती है। इस बार सावन शिवरात्रि 15 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी।

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Sawan Shivratri 2023 Date:सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह तिथि श्रावण मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होती है। इस बार सावन शिवरात्रि 15 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी। धार्मिक दृष्टि से सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की भक्ति आराधना करने से ऐश्वर्य का भोग करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि सावन शिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से पूरे साल की पूजा का फल प्राप्त होता है।

सावन शिवरात्रि पर पूजा का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि आरंभ : 15 जुलाई, शनिवार, शाम 08 बजकर 32 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समाप्त : 16 जुलाई, रविवार, रात 10 बजकर 08 मिनट पर

निशिता काल पूजा समय : 15 जुलाई, रात 12 बजकर 07 मिनट से देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक

सावन शिवरात्रि में पूजा की अवधि: 41 मिनट

सावन शिवरात्रि 2023 में दो शुभ योग

इस बार सावन शिवरात्रि पर दो शुभ योग वृद्धि और ध्रुव योग बन रहे हैं। वृद्धि योग प्रात:काल से सुबह 08 बजकर 22 मिनट तक है। इस योग में पूजा पाठ करने से पुण्य फल में वृद्धि होती है। इसके बाद से ध्रुव योग प्रारंभ होगा, जो पूरे रात रहेगा। सावन शिवरात्रि के दिन मृगशिरा नक्षत्र है। यह सुबह से लेकर रात 12:23 बजे तक है।

सावन शिवरात्रि पूजा विधि

सावन शिवरात्रि के दिन शिवभक्त को सूर्योदय के पूर्व उठना चाहिए। स्नान आदि से निवृत्त होकर एक तांबे के लोटे में गंगाजल लेकर शिव मंदिर जाएं। एक अन्य लोटे में दूध भी ले सकते हैं। गंगाजल न हो तो शुद्ध और ताजा जल लेकर उसमें किसी पवित्र नदी का थोड़ा सा जल मिला सकते हैं। शिवलिंग पर ताजा, शुद्ध जल भी समर्पित कर सकते हैं। अब शिवमंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग पर पतली धारा से जल चढ़ाएं। महादेव को अक्षत, सुगंधित फूल, श्वेत पुष्प, आंकड़ा, धतूरा, आदि समर्पित करें। बिल्वपत्र अपनी श्रद्धानुसार शिवलिंग पर समर्पित करें। महादेव को भांग, ऋतुफल, मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा आदि का भोग लगाएं। शिव पंचाक्षरी मंत्र, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्त्रोत, शिव चालीसा इनमें किसी एक का या संभव हो तो सभी का पाठ करें। आखिर में महादेव की आरती गाएं। फिर प्रसाद बांटें। 

इन मंत्रों का करें जाप 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च | नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च || 

जय शम्भो विभो अघोरेश्वर स्वयंभे जय शंकर। जयेश्वर जयेशान जय जय सर्वज्ञ कामदं।।

टॅग्स :सावनभगवान शिव
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