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Sawan 2020: बहुत प्रभावशाली है शिवजी का पंचाक्षर मंत्र ''ॐ नमः शिवाय'', जानें इसका महत्व व कथा

By गुणातीत ओझा | Updated: August 2, 2020 10:28 IST

भगवान शिव का अत्यंत प्रिय श्रावण मास अर्थात सावन का महीना भगवान शंकर को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का महोत्सव है। मान्यता है कि इसी मास में जगत जननी देवी पार्वती ने कठोर तपस्या एवं व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया।

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ठळक मुद्देसावन का महीना भगवान शंकर को प्रसन्न करने का महीना होता है।सावन के महीने में भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।

भगवान शिव का अत्यंत प्रिय श्रावण मास अर्थात सावन का महीना भगवान शंकर को प्रसन्न करने का महीना होता है। मान्यता है कि इसी मास में जगत जननी देवी पार्वती ने कठोर तपस्या एवं व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषविद् एवं कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार सावन के महीने में शिवजी ने समुद्र मंथन से निकला विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। इसी कारण इस महीने में शिव पूजा का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। भोलेनाथ थोड़ी सी भक्ति करने से जल्दी ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।

परम शक्तिशाली है ॐ नमः शिवाय

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शिव पूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय', जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भोलेनाथ को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कोई नहीं है। हृदय में 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभ कार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।

शिव के पांच मुखों से निकला यह मंत्र

शिवपुराण के अनुसार एक बार माँ पार्वती भोलेनाथ से पूछती हैं कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का आशय लेना चाहिए?देवी पार्वती के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव कहते हैं कि प्रलय काल में जब सृष्टि में सब समाप्त हो गया था,तब मेरी आज्ञा से समस्त वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे। सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं। भोले नाथ की कृपा पाने के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावी है।

स्कंदपुराण में है महिमा

वेदों के मुताबिक शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ॐ नमः शिवाय का जप ही काफी है। भोलेनाथ इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर महाकाल की असीम कृपा बरसने लगती है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि ॐ नमः शिवाय महामंत्र जिसके मन में वास करता है,उसके लिए बहुत से मंत्र, तीर्थ, तप व यज्ञों की क्या जरूरत है। यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है,पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक,परलौकिक सुख देने वाला है।

पंच तत्वों को नियंत्रित करता है यह मंत्र

ॐ नमः शिवाय की पंच ध्वनियां सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं। क्रमानुसार 'न' पृथ्वी,'मः'पानी,'शि'अग्नि ,'वा' प्राणवायु और 'य' आकाश को इंगित करता है। शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है।

मिलेगा स्वास्थ्य लाभ

इस मंत्र का जाप हमें शिवालय, तीर्थ या घर में साफ, शांत व एकांत जगह बैठकर करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। यदि आप पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा। शिव के ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप किसी भी समय किया जाता है। इसके धार्मिक लाभ के अलावा ॐ नम: शिवाय मंत्र स्वास्थ्य लाभ भी देता है। इसके उच्चारण से समस्त इंद्रियां जाग उठती हैं।

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