Shravan 2019: सावन की शिवरात्रि कब है? जानें कैसे करें इस दिन शिव की पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 23, 2019 09:25 AM2019-07-23T09:25:38+5:302019-07-23T09:25:38+5:30
शिवरात्रि हर मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। हालांकि, फाल्गुन और सावन मास में पड़ने वाले शिवरात्रि सबसे खास माने गये हैं।
Sawan 2019: सावन के महीने में सोमवार व्रत के साथ-साथ सावन शिवरात्रि का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि सावन में सोमवार व्रत और शिवरात्रि (Sawan Shivratri) की पूजा करने से सभी कष्ट भगवान भोलेनाथ दूर करते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दरअसल, हर महीने में एक शिवरात्रि होती है। ये शिवरात्रि हर मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। हालांकि, फाल्गुन और सावन मास में पड़ने वाले शिवरात्रि सबसे खास माने गये हैं। शिव भक्तों को इन दो शिवरात्रि के पर्व जरूर मनाने चाहिए।
Sawan 2019: सावन शिवरात्रि कब है, क्या है शुभ मुहूर्त
इस बार सावन की शिवरात्रि 30 जुलाई को है। यह मंगलवार का दिन है जो माता पार्वती को समर्पित है। इस लिहाज से यह शिवरात्रि और अहम बन गया है। सावन में मंगलवार को मंगला गौरी व्रत भी किया जाता है। शिवरात्री के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने और माता पार्वती की पूजा करने से साधक सुख और शांति के रास्ते पर बढ़ता है। इस बार सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9.10 से दोपहर 2.00 बजे तक है। वैसे यह पूरा दिन ही बहुत शुभ माना गया है।
शिवरात्रि से ठीक एक दिन पहले सोमवार व्रत भी है। शिवरात्रि के दिन भक्त उपवास रखकर भगवान शंकर की पूजा करते हैं। शिवरात्रि की रात में भी भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। इससे दुखों का नाश होता है। मान्यता है कि अगर कोई कुंवारी कन्या शिवरात्रि का व्रत रखती है तो उसे मनचाहा वर मिलता है।
Sawan 2019: सावन शिवरात्रि की पूजा विधि, कैसे करें शिव की पूजा?
शिवरात्रि के दिन साधक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद एक पात्र में गंगा जल, दूध, शहद, घी, चंदन, दही आदि लेकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को बेलपत्र, घतुरा, भांग और दूव चढ़ाए। इसके अलावा फल और मिठाई भगवान को अर्पण करें। चढ़ाए हुए फलों और मिठाई आदि को अपने साथ नहीं ले जाए। मान्यता है कि भगवान शिव को जो चढ़ाया जाता है वे वापस नहीं लिये जाते।
इस पूरे दिन उपवास रखें और भगवान शिव का ध्यान लगाए हुए दिन बिताए। पूरी रात भी साधक को जगना चाहिए और शिव सहित माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। व्रत के अगले दिन स्नान कर एक बार फिर भगवान शिव की पूजा करें और इसके बाद दान आदि करने के बाद ही अपना उपवास खत्म करें।