Shravan 2019 Festivals: सावन में पड़ते हैं ये चार बड़े पर्व, यहां देखिए पूरी लिस्ट, तारीख और पूजा विधि

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 18, 2019 09:14 IST2019-07-18T09:14:44+5:302019-07-18T09:14:44+5:30

इस बार सावन मास 30 दिन का है और ऐसे में 4 सोमवार इस बार पड़ेंगे। इसके अलावा शिवरात्रि और नागपंचमी का विशेष पर्व है।

sawan 2019 festival list date, shubh muhurat, puja vidhi and vrat katha | Shravan 2019 Festivals: सावन में पड़ते हैं ये चार बड़े पर्व, यहां देखिए पूरी लिस्ट, तारीख और पूजा विधि

सावन 2019 में पड़ने वाले पर्व-त्योहार

Highlightsसावन-2019 में सोमवार, शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षाबंधन के त्योहारभगवान शिव को प्रिय है सावन मास, इस महीने में भोलेनाथ को गंगा जल चढ़ाने का है विशेष महत्व

Sawan 2019: श्रावण के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ ही हर-हर महादेव का जयकारा और भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा का दौर शुरू हो गया है। हर भक्त भोलेनाथ की भक्ति में डूबा है। कई जगहों पर कांवड़िये कांवड़ लेकर गंगा जल भरने निकल चुके हैं, जिसे वे भगवान शिव को चढ़ाएंगे। मान्यता है कि सावन मास भगवना शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव को गंगा जल चढ़ाने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। साथ ही चंदन, धतूरा, बेल के पत्ते, गाय का शुद्ध दूध, फल, मिठाई आदि भी शिवजी को अर्पण किये जाते हैं। 

हिंदू धर्म में सावन मास को बहुत पवित्र माना गया है। इस महीने में ज्यादातर हिंदू सात्विक भोजन करते हैं और शिव की भक्ति में अपना पूरा एक महीना गुजारते हैं। यहां तक कि कई लोग प्याज और लहसून जैसी चीजें भी खाने से परहेज करते हैं। इस महीने में चार ऐसे त्योहार हैं जिनका बहुत महत्व है। यहां देखिए इस महीन पड़ने वाले पर्व-त्योहारों की पूरी लिस्ट, तारीख और उनकी पूजा विधि और इससे जुड़ी व्रत कथाएं....

Sawan 2019: सावन में पड़ने वाले पर्व और त्योहार

सावन के महीने में सोमवार व्रत, शिवरात्रि, नागपंचमी और फिर रक्षा बंधन जैसे पर्व व त्योहार होते हैं। इस बार सावन मास 30 दिन का है और ऐसे में 4 सोमवार इस बार पड़ेंगे। इसके अलावा शिवरात्रि और नागपंचमी का विशेष पर्व है। सावन के आखिरी दिन भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के तौर पर रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है।

सावन-2019 में पर्व और त्योहारों की लिस्ट

पहला सोमवार- 22 जुलाई
दूसरा सोमवार- 29 जुलाई
तीसरा सोमवार- 5 अगस्त
चौथा सोमवार- 12 अगस्त
शिवरात्रि- 30 जुलाई
नागपंचमी- 5 अगस्त
रक्षा बंधन- 15 अगस्त

सावन में सोमवार व्रत का महत्व और कथा: इस साल सावन सोमवार व्रत की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार नारद मुनि ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें सावन मास ही इतना प्रिय क्यों है। यह सुन भगवान शंकर बताते हैं कि हैं कि देवी सती ने हर जन्म में उन्हें पति रूप में पाने का प्रण लिया था और इसके लिए उन्होंने अपने पिता दक्ष की नाराजगी को भी सहा। एक बार पिता द्वारा शिव को अपमानित करने पर देवी सती ने शरीर त्याग दिया। 

इसके बाद देवी ने हिमालय और नैना पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में भी शिव से विवाह के लिए देवी ने सावन माह में निराहार रहते हुए कठोर व्रत से भगवान शिवशंकर को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसलिये सावन मास से ही भगवान शिव की कृपा के लिये सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किये जाते हैं।

सावन में शिवरात्रि का महत्व: सावन के महीने में पड़ने वाले शिवरात्रि का विशेष महत्व  है। मान्यता है कि शिवरात्रि त्योहार के दिन भगवान शिव पर जल चढ़ाने से भगवान शिव अत्यधिक खुश होते हैं और भक्त की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कुंवारी कन्याओं द्वारा शिवरात्रि का व्रत करने से उन्हें मनचाहा और अच्छा वर मिलता है। इस बार सावन की शिवरात्रि 30 जुलाई को है। यह मंगलवार का दिन है। सावन शिवरात्रि के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9.10 से दोपहर 2 बजे तक है। वैसे, यह पूरा दिन बेहद अच्छा माना जाता है और आप किसी भी समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। 

नागपंचमी का महत्व:नाग पंचमी हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 5 अगस्त (सोमवार) है। भगवान शिव का सर्पों से जुड़ाव इस त्योहार को सावन में और विशेष बनाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी की पूजा करने से कालसर्प दोष कम हो जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करे और ऊं नम: शिवाय का जप करें। नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से भी जातक कालसर्प दोष को कम कर सकता है। 

रक्षाबंधन का त्योहार: सावन का महीना 15 अगस्त को खत्म हो रहा है। परंपरा के अनुसार सावन के आखिरी दिन भाई-बहन के बीच प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है। रक्षाबंधन के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं लेकिन इसमें सबसे लोकप्रिय महाभारत में श्रीकृष्ण और द्रौपदी से जुड़ा है। कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई और लहू बहने लगा।

इस समय द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे घाव पर बांध दिया। इस घटना के कुछ वर्षों के बाद जब दु: शासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा करते हुए इस बंधन का उपकार चुकाया।

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