Kawad Yatra 2019: कावड़ यात्रा के नियम, कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा और किस बात का जरूर रखें ध्यान, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2019 01:09 PM2019-07-10T13:09:20+5:302019-07-10T13:09:20+5:30
कांवड़ यात्रा से जुड़े कई ऐसे कठिन नियम हैं जो श्रद्धालुओं को ध्यान में रखना होता है। अगर वे ऐसा करने में सफल नहीं होते तो उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
सावन मास के 17 जुलाई से शुरू होने के साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो जाएगी। इसके तहत कांवड़ में गंगा जल को भरा जाता है और फिर इस भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। इस दौरान सड़कों पर कांवड़ को लेकर भगवान शिव के धाम जाने वाले कांवड़ियों के उल्लास को देखते ही बनता है।
कांवड़ियों को देखना जितना रोचक लगता है उससे कहीं अधिक मुश्किल कांवड़ यात्रा होती है। कांवड़ियें गंगा जल भरते हैं और फिर कई किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद उसे भगवान शंकर को चढ़ाते हैं। मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव को जल चढ़ाने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
कांवड़ यात्रा से जुड़े कई ऐसे कठिन नियम हैं जो श्रद्धालुओं को ध्यान में रखना होता है। अगर वे ऐसा करने में सफल नहीं होते तो उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। इसलिए हर हाल में सभी नियमों का पालन बेहद जरूरी होता है। सबसे पहले जानते हैं कांवड़ यात्रा के वे नियम जिसका पालन हर कावड़िये को जरूर करना चाहिए....
Kawad Yatra 2019: कावड़ यात्रा के नियम
1. बिना स्नान के कावड़ को स्पर्श करना मना होता है। इस यात्रा में शुद्धता का महत्व विशेष है। इसलिए कांवड़ यात्रा के दौरान अगर शौच आदि के लिए रूकते हैं तो नहाये बिना कभी भी इसे स्पर्श नहीं करें। नहाने के बाद ही कांवड़ लेकर आगे बढ़ें।
2. कावड़ यात्रा के दौरान चमड़े से बने किसी भी वस्तु मसलन जूते, चप्पल, बेल्ट आदि का इस्तेमाल नहीं करें। पर्स या घड़ी के बेल्ट आदि भी चमड़े का न हो। जरूरत के पैसे या तो किसी छोटे कपड़े में बांध कर या पॉकेट आदि में रख सकते हैं।
3. कांवड़ को यात्रा के दौरान कभी भी जमीन पर नहीं रखें। अगर कहीं विश्राम के लिए रूकना भी पड़े तो इसे किसी ऊंचे स्थान पर रखें। इसके लिए आप बांस या लकड़ी से एक स्डैंड आदि बना सकते हैं।
4. कांवड़ को सिर के ऊपर रखकर ले जाना वर्जित है। इसलिए आप इसे कंधे पर भी रखें।
5. कांवड़ यात्रा के दौरान नशा जैसे शराब आदि का सेवन मना होता है। इस दौरान आपको मांस आदि तामसिक भोजन का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इस पावन यात्रा के दौरान सात्विक भोजन करें। प्याज, लहसुन जैसी चीजों से भी दूरी बनाये रखना जरूरी है।
6. कांवड़ यात्रियों के लिए जरूरी है कि वे खुद को केवल शरीर ही नहीं मन से भी शुद्ध रखें। इसके लिए क्रोध आदि से बचें। किसी से विवाद नहीं करें और गलत विचारों को दिमाग में न आने दे। ऐसा होता है तो आपकी यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी। यात्रा के दौरान भगवान शिव को याद करें और शिव-शंकर का जयकारा लगायें।
7. पुरी यात्रा के दौरान शुचिता, पवित्रता और भगवान शिव के प्रति संकल्प को ध्यान में रखें। यह सबसे महत्वपूर्ण है। भगवान की भक्ति में लीन रहें और उन्हें ही याद करते हुए आगे बढ़ें। ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होंगी।
Kawad Yatra 2019: कितने तरह के होते हैं कावड़िए
1. सामान्य कांवड़- सामान्य कांवड़ वाले श्रद्धालु यात्रा के दौरान जहां चाहें रूक सकते हैं। इस दौरान ये ध्यान जरूर रखें कि आपकी कांवड़ पर जमीन से ऊपर रहे। इस दौरान आप आराम से अपना कांवड़ किसी स्टैंड पर रखकर आराम करके आगे बढ़ सकते हैं।
2. डाक कांवड़ (डाक बम)- डाक बम वाले कावड़िए जल भरने के बाद कहीं नहीं रूकते। भगवान शिव पर जल चढ़ाने के बाद ही उनकी यात्रा खत्म होती है। इनका एक समय भी निश्चित होता है कि कितने घंटे में उन्हें जल भरने के बाद भगवान शंकर को अर्पण कर देना है। इस यात्रा के दौरान कांवड़िए शौच आदि या उतसर्जन की क्रियाएं भी नहीं कर सकते।
3. दांड़ी कांवड़- यह बेहद मुश्किल यात्रा मानी जाती है। इस दौरान भक्त नदी से शिवधाम तक शरीर की लंबाई से लेट कर रास्ते को पूरा करते हैं। इसमें महीने भर का समय भी लग जाता है। आप इस दौरान एक कदम भी पैर के बल नहीं चल सकते और लेट-लेट कर आगे बढ़ना होता है।
4. खड़ी कांवड़- इस कांवड़ यात्रा में मुख्य कांवड़िये के साथ उनका कोई सहयोगी भी मौजूद रहता है। जब एक कांवड़ियां कही आराम कर रहा होता है तो सहयोगी कांवड़ को अपने कंधे पर ले लेता है और चलते रहने के क्रम में एक ही जगह खड़ा रहकर हिलाता-डुलाता रहता है।