रामायण: 14 वर्षों तक भूखे रहे थे लक्ष्मण! नहीं किए थे ये 3 काम-पढ़िए रावण पुत्र इंद्रजीत के वध से जुड़ी ये दिलचस्प कथा
By मेघना वर्मा | Published: April 16, 2020 12:29 PM2020-04-16T12:29:49+5:302020-04-16T12:29:49+5:30
भगवान श्रीराम और उनके भाई श्री लक्ष्मण का प्रेम अगाध था।
भगवान राम की लीला अपरम-पार बताई जाती है। भगवान श्रीराम और उनके भाई श्री लक्ष्मण का प्रेम अगाध था। 14 वर्ष के वनवास में लक्ष्मण ने एक भी क्षण अपने भाई का साथ ना छोड़ा। युद्ध में लंका सैनिकों को पछाड़ रावण के पुत्र इंद्रजीत का वध लक्ष्मण ने किया था। बताया जाता है कि अगस्त्य ऋषि ने इस बात की घोषणा भी की थी कि इंद्रजीत को स्वंय राम भी नहीं मार सकेंगे। उनका वध सिर्फ और सिर्फ लक्ष्मण कर सकेंगे।
आइए आपको बताते हैं लक्ष्मण जी से जुड़ा कुछ ऐसा ही प्रसंग जिन्हें सुनकर पता चलता है कि उनके जैसा वीर कोई और नहीं। रावण के पुत्र इंद्रजीत के वध को लेकर अगस्त्य ऋषि ने क्यों कहा था ऐसा। पढ़िए आप भी ये दिलचस्प लोक कथा-
जब अगस्त्य मुनी ने बताया कि लक्ष्मण है सबसे महान योद्धा
बताया जाता है कि एक बार अगस्त्य मुनि अयोध्या आए। तब वहां लंका युद्धा का प्रसंग छिड़ गया। तभी अगस्त्य मुनि ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे लेकिन सबसे बड़ा वीर इंद्रजीत था। उसने इंद्र को अंतरिक्ष के युद्ध में बांधकर लंका लाया। ब्रह्माजी ने जब इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र मांगा तब वह मुक्त हुए। ऋषि ने बताया कि केवल लक्ष्मण ही उनका संहार कर सकते थे।
क्यों केवल लक्ष्मण कर सकते थे ये संहार
जब श्रीराम ने ऋषि अगस्त्य से पूछा कि क्यों केवल लक्ष्मण ही इंद्रजीत का वध कर सकते थे? इस पर अगस्त्य मुनि ने बताया कि इंद्रजीत को वरदान था कि उनका वध वही कर सकता है जो 14 वर्षों से सोया ना हो तथा जिसने 14 वर्षों से भोजन ग्रहण ना किया हो।
लक्ष्मण जी ने खोले राज
लक्ष्मण जी ने ही इस रहस्य को सभी के सामने रखा कि किस प्रकार वो 14 वर्षों तक बिना भोजन और बिना सोए रह पाए। लक्ष्मण ने श्रीराम को बताया कि जब सीता मां की तलाश में ऋष्यमूक पर्वत पर गए तो सुग्रीव ने उन्हें माता के आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा था। लक्ष्मण जी ने माता सीता के सिर्फ पैर के आभूषण को ही पहचाना था, क्योंकि उन्होंने माता सीता का सिर्फ पैर देखा था।
लक्ष्मण जी ने बताया कि चौहद वर्ष में जब भी श्रीराम और माता सीता अपनी कुटिया में सोते थे तो वो रातभर बाहर बैठकर धनुष-बाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़े रहते थे। जब नींद की देवी उनकी आंखों पर पहरा देने की कोशिश की उन्होंने बाणों से बेध दिया ता।
निद्रा ने हारकर स्वीकार किया कि वह 14 वर्षों तक उन्हें स्पर्श नहीं करेंगी। वहीं जब श्रीराम ने उनसे पूछा कि वो 14 वर्षों तक भूखे क्यों रहे तो लक्ष्मण ने जवाब देते हुए कहा कि जो भी फल-फूल मिलता था उसके तीन हिस्से होते ते। एक भाग लक्ष्मण को देकर श्रीराम कहते थे इसे रख लो।
लक्ष्मण जी ने कहा श्रीराम ने उनसे हमेशा कहा फल रख लो कभी ये नहीं कहा फल खा लो, तो बड़े भाई की इच्छा के विरूद्ध वो कैसे जा सकते ते। इसके बाद श्रीराम के आदेश पर लक्ष्मण जी चित्रकूट की कुटिया में से वो सारे फलों को टोकरी में लेकर आए और दरबार में रख दिया।
विश्वामित्र से ली थी अतिरिक्त विद्या
लक्ष्मणजी ने भगावा राम से कहा कि उन्होंने गुरु विश्वामित्र से अतिरिक्त विद्या ग्रहण की थी। जिमसें बिना अन्न ग्रहण किए भी व्यक्ति जीवित रह सकता है सिखाया गया था। इसी विद्या के ज्ञान से उन्होंने अपनी भूख को नियंत्रित किया और इंद्रजीत को मार गिराया।