रामायण: सिर्फ विभीषण- कुंभकर्ण ही नहीं रावण के थे ये 3 भाई-लंकापति ने भगवान शिव पर रच डाला था ये ग्रंथ
By मेघना वर्मा | Published: April 21, 2020 08:51 AM2020-04-21T08:51:25+5:302020-04-21T08:52:08+5:30
रावण ऋषि विश्वश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। जिसे दशानन के नाम से भी जाना जाता था।
इस समय देश में लॉकडाउन चल रहा है। कोरोना महामारी के चलते सभी अपने घरों में बंद हैं। वहीं ऐसे में देश की सरकार ने लोगों के मनोरंजन के लिए 33 साल पुराने रामानंद सागर की रामायण का फिर से प्रसारण शुरू कर दिया है। जिसे देखकर लोग काफी खुश हैं। दूरदर्शन की टीआरपी भी काफी ज्यादा हो गई है।
टीवी पर आ रहे रामायण में अब उत्तर रामायण दिखाया जा रहा है। रामायण में राम और रावण के युद्ध को लोगों ने बहुत पसंद किया। श्री राम की रामायण देखते हुए सभी के मन में एक सवाल जरूर आया है कि रावण कितने महान थे जो स्वयं भगवान विष्णु को उनका वध करने अवतरित होकर धरती पर आना पड़ा। माना जाता है कि रावण अगर अपने अंहकार पर विजय पा लेता तो उसके समान ज्ञानी पूरे विश्व में कोई नहीं होता।
आइए आपको बताते हैं रावण से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें साथ ही रावण द्वारा रचित कुछ ग्रंथों के बारे में-
रावण का परिवार
रावण ऋषि विश्वश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। जिसे दशानन के नाम से भी जाना जाता था। रावण के भाई बहनों की बात करें तो कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा, रावण के सगे भाई बहन बताए जाते हैं। जबकि इसके अलावा भी खर, दूषण और अहिरावण भी रावण के ही भाई थे।
वहीं सूर्पणखा के अलावा रावण की एक और बहन थी। जिसका नाम कुंभिनी था। जो मथुरा के राजा मधु राक्षस की भार्या और राक्षस लवणासुर की मां थी। रावण को ज्योतिष ज्ञान, वास्तु और विज्ञान विद्या का स्त्रोत माना जाता है। रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त भी था। रावण ने कई ग्रंथ भी लिखे। आइए आपको बताते हैं इन्हीं ग्रंथों के बारे में-
1. शिव तांडव स्त्रोत
रावण, शिव भक्त था। भगवान शिव को प्रसन्न करके ही उसने तांडव स्त्रोत लिखा था। भक्त आज भी अराधना करते समय भगवान शव को मनाने के लिए इन श्लोकों को पढ़ते हैं। भगवान शिव की पूजा में श्लोक को विशेष दर्जा दिया जाता है।
2. कुमारतंत्र
रावण ज्योतिष विद्या और तंत्र-मंत्र का ज्ञानी भी था। कुमारतंत्र में उसने ज्योतिष के साथ आर्युवेद से जुड़े रहस्यों को भी बताया।
3. रावण संहिता
इसे रावण के सबसे फेमस ग्रंथों में माना जाता है। अपने पूरे जीवन में सीखी हुई विद्या को रावण ने इस ग्रंथ में अंकित किया है। ज्योतिष ज्ञान की बहुत सी बातें इसमें पढ़ने को मिलेंगी।
4. उड्डीशतंत्र
सम्मोहन विद्या का भी रावण ज्ञाता था। उड्डीशतंत्र में भी रावण ने सम्मोहन और तंत्र विद्या के बारे में बहुत सारी साधनाओं के बारे में लिखा है।
5. दस शतकात्मक अर्कप्रकाश
वैद्यों के लिए आज भी ये किताब बहुत महत्वपूर्ण है। इस ग्रंथ में रावण ने तंत्र विद्या और रोग-उपचार के बारे में बताया है।