मुस्लिम समुदाय का सबसे पाक रमजान का महीना शुरू होने वाला है। मुसलमानों के लिए ये दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें मुसलिम समुदाय 30 दिनों तक रोजे रखते हैं। इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है।
इस एक महीने रोजे के दौरान सभी तय वक्त पर सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार करते हैं। रमजान के इस महीने को नेकियों आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना माना जाता है। आइए आपको बताते हैं रमजान की कुछ खास बातें-
कब से शुरू हैं रमजान
इस साल रमजान की शुरूआत 23/24 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। जो 23 मई तक चलेंगे। माना जाता है कि इस दौरान रोजे रख भूखे रहने से दुनियाभर के गरीब लोगों की भूख और दर्द को समझा जाता है। साथ ही ये भी कहते हैं कि रोजे के दौरान ना बुरा सुना जाता है ना बुरा देखा जाता है। इसलिए रोजे के समय हर मुसलमान खुद को बाहरी और अंदरूनी तरफ से पाक रखते हैं।
तीन अशरे के होते हैं अलग-अलग मतलब
रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं। पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है। माना जाता है कि रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद ने कहा है, रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम की आग से बचाव है।
कर रहे हैं अपील
वहीं इस बार रमजान का ये पाक महीने पर लॉकडाउन का असर दिखेगा। देश में बढ़ते कोरोना केस को लेकर लोगों से लगातार अपील की जा रही है कि वो अपने घर पर ही रहें। वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपील की और कहा, "संभवतः 24 अप्रैल से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है और रमजान के पवित्र महीने में लोग मस्जिदों के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों पर इबादत करते हैं। इन जगहों पर रोजा इफ्तार के अलावा कई कार्यक्रम होते हैं, लेकिन अभी विपरित परिस्थितियां है और संकट के हालात हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "पूरी दुनिया में सउदी अरब समेत सभी तमाम इस्लामिक देशों ने धार्मिक स्थलों पर भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाई है। आज हमने सभी धर्मगुरुओं, प्रमुख इमामों, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों और देशभर के वक्फ बोर्ड से चर्चा की है और उनसे अपील की है कि वो लोगों में जागरुकता पैदा करें। वो लोगों से अपील करें कि रमजान के पवित्र महीने में इबादत और इफ्तार अपने घरों पर करें। किसी भी जगह भीड़भाड़ करने से बचें।"