Ram Janam Katha: जब प्रभु श्रीराम के जन्म के बाद देवताओं ने की थी फूलों की वर्षा, पढ़े पुरुषोत्तम राम के जन्म की पूरी कथा

By मेघना वर्मा | Published: November 9, 2019 10:45 AM2019-11-09T10:45:42+5:302019-11-09T11:08:30+5:30

भगवान श्रीराम के बारे में हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण और रामचरित मानस में पढ़ सकते हैं। इन दोनों में ही प्रभु श्रीराम की जिंदगी का बड़ी ही खूबसूरती से वर्णन किया गया है।

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Ram Janam Katha: जब प्रभु श्रीराम के जन्म के बाद देवताओं ने की थी फूलों की वर्षा, पढ़े पुरुषोत्तम राम के जन्म की पूरी कथा

Highlightsमान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म आज से 7128 साल पहले अर्थात 5114 ईस्वी पहले हुआ था।माना जाता है कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष को नवमी के दिन भगवान राम ने जन्म लिया था।

अयोध्या नगरी इस समय देशभर की मीडिया की नजरों में बना हुआ है। आज (9 नवंबर) राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर कोर्ट अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा। देशवासियों की आस्था और लोगों की उम्मीदें आज फैसले की राह तक रही हैं। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म अयोध्या की पावन भूमि पर हुआ था। आइए आपको बताते हैं राम जन्म की पूरी कथा।

भगवान श्रीराम के बारे में हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण और रामचरित मानस में पढ़ सकते हैं। इन दोनों में ही प्रभु श्रीराम की जिंदगी का बड़ी ही खूबसूरती से वर्णन किया गया है। रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने की थी। वाल्मीकि ने भी रामायण में राम जन्म की कथा के बारे में कई वर्णन किए हैं।

राम जन्म कथा

प्राचीन समय की बाद है अयोध्या के राजा दशरथ प्रतापी और दानी थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं। मगर उनके कोई पुत्र नहीं था। पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने भव्य यज्ञ करवाया। इस यज्ञ को सम्पन्न करने के लिए राजा दशरथ ने समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकाण्ड पण्डितों को बुलावा भेज दिया। 

यज्ञ के लिए तय किए गए समय पर महाराज दशरथ ने अपने गुरु वशिष्ठ जी भी पधारे। इसी के बाद महान यज्ञ का शुरु हो गया है। यज्ञ का विधिवत शुभारंभ हो चुका है। यज्ञ के समय सम्पूर्ण वातावरण वेदों की ऋचाओं के उच्च स्वर में पाठ से गूंजने तथा समिधा की सुगन्ध से महकने लगा।

जब यज्ञ समाप्त हो गया तो सभी पण्डितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गौ आदि भेंट के साथ विदा किया गया। यज्ञ के प्रसाद के रूप में मिली खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों में वितरित कर दिया। प्रसाद ग्रहण करने के फलस्वरूप कुछ समय बाद तीनों रानियों ने गर्भधारण किया।

इसके बाद चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने एक शिशु को जन्म दिया। उनका नील वर्ण चुंबकीय आकर्षण वाला था। 

जो भी उस शिशु को देखता अपनी दृष्टि उस से हटा नहीं सकता था। इसके बाद नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी ने एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा ने दो तेजस्वी पुत्रों को जन्म दिया। चारो पुत्रों के जन्म से पूरी अयोध्या में उत्स्व मनाये जाने लगा। राजा दशरथ के पिता बनने पर देवता भी अपने विमानों में बैठ कर पुष्प वर्षा करने लगे। 

पुत्रों के नामकरण के लिए महर्षि वशिष्ठ को बुलाया गया। उन्होंने राजा दशरथ के चारों पुत्रों के नामकरण संस्कार करते हुए उन्हें रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न नाम दिए। अपने शांत स्वभाव और निपुण गुण के चलते वो प्रजाओं में लोकप्रिय हो गए। अपने आदर्शों से राजा राम ने लोगों का दिल जीत लिया। 

English summary :
Ayodhya city is currently trending in media and across the country. Today (9 November) the court will announce its historic verdict on the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute.


Web Title: Ram Janm Katha: ram janam katha in hindi, ram janam bhumi, ayodhya ram mandir history in hindi

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