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Raksha Bandhan 2025 Date: जानिए कब है राखी का त्योहार, शुभ मुहूर्त और इसका पौराणिक महत्व

By रुस्तम राणा | Updated: July 14, 2025 12:41 IST

रक्षाबंधन (या राखी) श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी रक्षा, प्रेम व दीर्घायु की कामना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार देकर उनका संरक्षण करने का वचन देते हैं ।

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Raksha Bandhan 2025 Date: रक्षाबंधन भारतवर्ष का एक प्रमुख पारिवारिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते को समर्पित होता है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजेपूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:24 बजेराखी बांधने का शुभ समय (मुहूर्त): सुबह 06:01 से दोपहर 01:24 बजे तक

राखी बांधने का यह समय भद्राकाल से मुक्त है और अत्यंत शुभ माना गया है। इसलिए परंपरा अनुसार बहनें इसी अवधि में भाइयों को राखी बांधें और उनसे अपनी सुरक्षा का वचन लें।

भद्रा काल में राखी नहीं बांधने का कारण

रक्षा बंधन पर भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि लंका पति रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांधी थी और रावण युद्ध में मारा गया था, इसलिए भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। 

रक्षाबंधन मनाने की परंपरा

बहनें सुबह स्नान के बाद पूजन की थाली सजाती हैं जिसमें राखी, रोली, अक्षत, दीपक और मिठाई होती है।भाई की कलाई पर राखी बाँधकर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घायु की कामना करती हैं।भाई उपहार देकर बहन की रक्षा का वचन देता है।कई परिवारों में इस दिन घर में विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं।

रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व

रक्षाबंधन के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कुछ इस प्रकार हैं:

कृष्ण और द्रौपदी की कथा: एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी। द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांधा। उस क्षण से श्रीकृष्ण ने उसे अपनी बहन मान लिया और चीरहरण के समय उसकी रक्षा की।

रानी कर्णावती और हुमायूं: चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह से अपनी रक्षा के लिए मुग़ल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूं ने राखी के मान को निभाते हुए चित्तौड़ की रक्षा की। 

इन कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि संरक्षण, प्रेम और वचनबद्धता का उत्सव भी है।

 

टॅग्स :रक्षाबन्धनहिंदू त्योहार
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