हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि को 'राधाष्टमी' के नाम से जाना जाता है। इस साल 17 सितंबर को राधाष्टमी है। अष्टमी तिथि 16 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 54 मिनट पर ही आरम्भ हो जाएगी जो कि अगले दिन 17 सितंबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इस बीच पूजा, व्रत और अन्य धार्मिक कर्म-कांड किए जा सकते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही राजा वृषभानु के यज्ञ से राधा जी प्रकट हुई थीं। कहते हैं कि जब राजा यज्ञ करने के लिए भूमि की सफाई कर रहे थे, तब उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने इस कन्या को भूमि देवी का आशीर्वाद मानकर स्वीकार किया और उसका लालन-पालन किया।
राधाष्टमी पर मंदिरों में राधा जी की पूजा होती है। इसदिन व्रत और पूजा का भी महत्व होता है। इसके अलावा कुछ शास्त्रीय उपाय भी किए जाते हैं। राधाष्टमी के पावन मौके पर यदि उनके 32 नामों का जपा किया जाए तो घर में सुख, परिवार वालो में आपसी प्रेम और शांति बढ़ती है। इसके अलावा धन-संपत्ति के भी योग बनते हैं।
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राधा जी के 32 नाम:
1: मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!2: सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !!4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !!5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !!6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !!8 :अति ही भोरी राधा ! राधा !!9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !!10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !!12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !!17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!23 : सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!24 : परम् अनूपा राधा ! राधा !!25 : परम् हितकारी राधा ! राधा !!26 : कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!27 : निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!28 : नवल भामिनी राधा ! राधा !!29 : रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!30 : स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!31: सकल गुणीता राधा ! राधा !!32 : रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!कर जोरि वन्दन करूं मैं_नित नित करूं प्रणाम_रसना से गाती/गाता रहूं_श्री राधा राधा नाम !!
पूरे मन से इन नामों का एक बार जाप करने से राधा जी की कृपा होती है।