Chandra Grahan 2022: देश के कई हिस्सों में साल के आखिरी चंद्र ग्रहण की तस्वीरें आने लगे हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगा यह चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण हैं। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण को एक अशुभ अवधि के रूप में देखा जाता है। इसमें लगने वाला सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व लग जाता है जो ग्रहण समाप्ति के साथ ही समाप्त होता है।
इस दौरान शुभ कार्य, पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य कार्यों को भी निषेध माना जाता है। मान्यता के अनुसार, ग्रहण का अशुभ प्रभाव देवी-देवताओं के ऊपर भी पड़ता है। इसलिए मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन लगता है। जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर लगता है। ग्रहण की यह तस्वीर पटना से ली गई है। जबकि दूसरी तस्वीर गुवाहाटी की है।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। इसलिए चंद्र ग्रहण का प्रभाव सर्वाधिक मन पर पड़ता है। हालांकि ग्रहण के शुभ-अशुभ प्रभाव दोनों हो सकते हैं। हालांकि विज्ञान इसे खगोलीय घटना मानता है। जहां पृथ्वी और चंद्रमा दोनों काफी गरीब आ जाते हैं।
वहीं ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, ग्रहण के बाद स्नान जरूर करें। पूरे घर में गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध करना चाहिए। इस अवधि में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। चंद्र ग्रहण के दौरान शिव आराधना करने से लाभ मिलता है।
ग्रहण के बाद घर के मंदिर की भी शुद्धि आवश्यक है। इसलिए थोड़ा गंगा जल हाथ में लेकर मंदिर में छिड़कें। इसके साथ ही देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को भी गंगा जल से शुद्ध करें और इसके बाद ही पूजा करें। इसके अलावा दान-पुण्य करें।