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Nirjala Ekadashi 2019: निर्जला एकादशी व्रत के बाद कल कब कर सकेंगे पारण, जानिए समय और पारण सहित पूजा विधि

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 13, 2019 10:26 IST

निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ दूसरे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि आप इस दिन अगर स्वयं प्यासे रहकर दूसरे लोगों और प्राणियों को पानी पिलाते हैं तो व्रत का फल जरूर मिलता है।

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ठळक मुद्देनिर्जला एकादशी आज, शाम 4.49 बजे खत्म होगी एकादशीसाधक कल सुबह कर सकेंगे पारण, एकादशी 12 जून को शाम 6.27 से शुरू हो चुकी हैनिर्जला एकादशी को 'ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी' या 'भीम एकादशी' भी कहा जाता है

Nirjala Ekadashi 2019: निर्जला एकादशी का व्रत आज (13 जून) है। इस मौके पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही दान देने और विशेषकर जल दान का महत्व अत्यधिक है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन किया जाता है। इसलिए इसे 'ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी' भी कहते हैं। चूकी ज्येष्ठ मास में गर्मी बेहद ज्यादा रहती है, इसलिए इस मौसम में निर्जला रहते हुए उपवास करना कठिन कार्य है। यही वजह है कि इसे सबसे कठिन व्रतों में शामिल किया जाता है।

निर्जला एकादशी का व्रत जितना कठिन है उतना ही इसका महत्व भी है। कहा जाता है कि इसे करने से कभी एकादशियों का फल एक साथ मिल जाता है। निर्जला एकादशी का एक नाम भीम एकादशी भी है। ऐसी मान्यता है कि पांडु पुत्र भीम ने भी इसे किया था। वह साल भर में पड़ने वाले 24 एकादशियों को करने में असमर्थ थे, इसलिए उन्होंने निर्जला एकादशी का व्रत करना आरंभ किया।

Nirjala Ekadashi 2019: शुभ मुहूर्त और पारण का समय

इस बार एकादशी 12 जून को शाम 6.27 से शुरू हो चुका है और यह आज शाम 4.49 बजे खत्म हो जाएगा। ऐसे में इसके लिए साधक को आज सुबह से पूरे दिन और रात उपवास रखना होगा। एकादशी 12 जून को शाम 6.27 से शुरू हो जाएगा और यह अगले दिन यानी शाम 4.49 बजे खत्म होगा। ऐसे में इसके लिए आपको उपवास 13 जून को रखना होगा। निर्जला एकादशी का पारण समय 14 जून को सुबह 5.27 से आरंभ होगा और 8.13 तक रहेगा। 

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एकादशी पर की जाती है भगवान विष्णु की पूजा

Nirjala Ekadashi 2019: कैसे करें ये कठिन व्रत

निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, फूल, फल और मिठाई आदि चढ़ाए। आप पास के किसी मंदिर भी जा सकते हैं। निर्जला एकादशी करने वालों को पूरी रात जागना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ दूसरे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि आप इस दिन अगर स्वयं प्यासे रहकर दूसरे लोगों और प्राणियों को पानी पिलाते हैं तो व्रत का फल जरूर मिलता है। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं। दीप जलाएं और आरती करें।

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णुहिंदू त्योहार
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