लाइव न्यूज़ :

महाभारत की लड़ाई एक मिनट में खत्म कर देता ये बाहुबली, न पांडव बचते और न कौरव, लेकिन फिर भी नहीं लड़ सका युद्ध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 14, 2019 12:06 IST

बर्बरीक की राजस्थान में खाटू-श्यामजी के नाम से पूजा भी की जाती है। उनका मंदिर सीकर जिले के खाटू गांव में है।

Open in App
ठळक मुद्देबर्बरीक में था एक मिनट में महाभारत का युद्ध खत्म करने का दमभीम के पोते थे बर्बरीक, श्रीकृष्ण भी बर्बरीक की ताकत देख रह गये थे दंगकृष्ण की चतुराई की वजह से महाभारत की युद्ध में हिस्सा नहीं ले सका था बर्बरीक

महाभारत की कहानी कई रहस्यों और हैरान कर देने वाले प्रसंगों से भरी पड़ी है। इसमें ही एक प्रसंग बर्बरीक से भी जुड़ा है। बर्बरीक संभवत: महाभारत के सबसे मजबूक योद्धाओं में से एक था जिसे अगर मौका मिलता तो एक मिनट में ही अपने बाणों से पूरी लड़ाई को खत्म कर देता।

हालांकि, भगवान श्रीकृष्ण को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने महाभारत की लड़ाई शुरु होने से पहले ही बर्बरीक का सिर दान में मांग लिया ताकि वह इसमें हिस्सा ही न ले सके। जानिए, कौन था बर्बरीक और आखिर क्यों भगवान कृष्ण ने इसे महाभारत की लड़ाई में शामिल होने से रोका था।    

कौन था बर्बरीक

महाभारत के सबसे अहम किरदारों में शामिल बर्बरीक का वेदव्यास के महाभारत में जिक्र नहीं है। हालांकि, महाभारत के दूसरे संस्करणों और इससे जुड़े कुछ लोक कथाओं में बर्बरीक का जिक्र जरूर आता है। बर्बरीक दरअसल घटोत्कच (भीम का बेटा) और माता अहिलावती का बेटा था। बर्बरीक की मां अहिलावती उसकी गुरु भी थी और युद्ध कला उसने अपनी मां से भी सीखी थी।

उसे भगवान शिव में बड़ी आस्था थी। उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे तीन दिव्य बाण दिए। कुछ पौराणिक कथाओं में ऐसा भी कहा जाता है कि अष्टदेवों (आठ भगवान) ने उसे ये तीन सबसे दिव्य बाण दिए। इसलिए बर्बरीक को 'तीन बाणधारी' के रूप में भी जाना जाता है।

बर्बरीक और महाभारत का युद्ध

बर्बरीक ने जब कुरुक्षेत्र में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में सुना तो वह भी उसमें हिस्सा लेने के लिए आतुर हो गया। कुरुक्षेत्र की ओर जाने से पहले बर्बरीक ने अपनी मां से वादा किया कि वह उसी सेना का साथ देगा जो युद्ध में कमजोर नजर आने लगेगा। श्रीकृष्ण को जब इस बारे में मालूम हुआ तो वह बर्बरीक की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक ब्राह्मण भेष में उसके पास पहुंच गये। ब्राह्मण भेष में कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वह कितने दिनों में युद्ध समाप्त कर सकता है। इस पर बर्बरीक ने कहा- 'केवल एक मिनट में।' 

यह दोनों इस समय एक पीपल के पेड़ के नीचे खड़े थे। बर्बरीक का आत्मविश्वस देख कृष्ण ने उसे चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह अपने बाण से पीपल के सभी पत्तों में छेद कर देता है तो वह उसकी शक्ति को मान लेंगे। बर्बरीक इसके लिए तैयार हो गया। इस बीच श्रीकृष्ण ने चतुराई से एक पत्ता अपने पैरों के नीचे छिपा लिया।

बर्बरीक ने बाण चलाया और पीपल के सभी पत्तों को सफलतापूर्वक भेदते हुए ब्राह्मण रूपी श्रीकृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा। श्रीकृष्ण ने जब इस बारे में पूछा तो बर्बरीक ने कहा कि जरूर पैर के नीचे कोई पत्ता है जिसकी वजह से बाण वहां घूम रहा है।

पांडव या कौरव, किसके साथ था बर्बरीक

बर्बरीक की शक्ति को श्रीकृष्ण परख चुके थे। ऐसे में उन्होंने बर्बरीक से पूछा कि वह युद्ध में किस सेना के साथ होगा। इस सवाल पर बर्बरीक ने जवाब में अपनी मां से किये हुए वादे को दोहराया और कहा कि युद्ध के दौरान जो सेना भी उसे कमजोर पड़ती नजर आयेगी, वह उस ओर चला जाएगा। इसे सुन कर ब्राह्मण का भेष धरे कृष्ण ने समझाया कि ऐसे तो युद्ध ही खत्म नहीं होगा। 

साथ ही कृष्ण ने बताया कि अगर पांडव की ओर से वह युद्ध करेगा तो कौरव कमजोर होंगे और फिर वह कौरव की ओर से युद्ध करेगा तो पांडव कमजोर होने लगेंगे। ऐसे में तो यह सिलसिला चलता रहेगा।

कृष्ण ने मांगा बर्बरीक का सिर

बहरहाल, इस संवाद के बाद ब्राह्मण रूपी कृष्ण ने बर्बरीक से दान मांगा। बर्बरीक ने वादा किया कुछ भी मांगने पर वह जरूर देगा। कृष्ण ने इसके बाद बर्बरीक का सिर मांग लिया। बर्बरीक यह सुनकर कर हैरान हो गया। उसे शक हुआ और फिर उसने ब्राह्मण (कृष्ण) से उनकी असल पहचान के बारे में पूछा। इसके बाद कृष्ण अपनी असली रूप में आए। बर्बरीक के अनुरोध पर कृष्ण ने अपना भव्य विष्णु रूप भी प्रकट किया।

बर्बरीक ने इसके बाद अपना सिर भेंट करते हुए कृष्ण के सामने महाभारत युद्ध देखने की इच्छा रखी। कृष्ण इस पर राजी हो गये। उन्होंने बर्बरीक का कटा हुआ सिर एक पहाड़ी की ऊंची चोटी पर रख दिया जहां से उसने पूरा युद्ध देखा।

बर्बरीक की राजस्थान में होती है पूजा (Khatu Shyam ji Mandir)

बर्बरीक की राजस्थान में खाटू-श्यामजी के नाम से पूजा भी की जाती है। उनका मंदिर सीकर जिले के खाटू गांव में है। यही नहीं हिमाचल प्रदेश में भी बर्बरीक की पूजा भगवान कमरुनाग के तौर पर होती है। यह मंदिर मंडी जिले के सुंदरनगर में स्थित है। 

 

टॅग्स :महाभारतभगवान कृष्ण
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठBhagwat Geeta: गीता की विचारधारा सदियों से मानवीय चिंतन को प्रभावित करती रही है?

पूजा पाठठाकुर जी की कृपा के बिना श्रीमद भागवत का श्रावण संभव नहीं: चारु लाडली

पूजा पाठमथुरा के बांके बिहारी मंदिर में बड़ा बदलाव, जगमोहन में प्रवेश और दर्शन पर रोक

पूजा पाठवृंदावन श्री बांके बिहारी मंदिरः घर बैठे ऑनलाइन दर्शन कीजिए?, 2026 में खुशखबरी, जानें कैसे करें रजिस्ट्रेशन

पूजा पाठGovardhan Puja: ब्रज में गोवर्धन पूजा लोक धर्म की स्थापना का विजय पर्व...

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय