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महाभारत: अर्जुन का रथ युद्ध के बाद क्यों जल गया था, आखिर क्या थी वजह!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 6, 2019 10:55 IST

महाभारत के युद्ध के ठीक बाद अर्जुन के रथ में आग लग गई थी और ये जलकर स्वाहा हो गया। यह ऐसा रथ था जो जररूत पड़ने पर किसी भी दिशा और किसी भी लोक में भ्रमण कर सकता था।

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ठळक मुद्देमहाभारत में अर्जुन के रथ की भी है बेहद दिलचस्प कहानीअर्जुन को अग्नि देव की ओर से मिला था 4 घोड़ों वाला दिव्य रथअर्जुन के रथ के ऊपर पताका में स्वयं हनुमान जी विराजमान थे

महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ से जुड़ी भी बेहद दिलचस्प कथा है। यह ऐसा रथ था जिसके ऊपर पताका में हनुमानजी विराजमान थे और इसके सारथी स्वयं श्रीकृष्ण थे। यही नहीं, शेषनाग ने पृथ्वी के नीचे से अर्जुन के रथ के पहियों को पकड़ रखा था ताकि इस महत्वपूर्ण युद्ध में एक पल के लिए रथ का संतुलन नहीं बिगड़े।

ऐसी कथा है कि महाभारत के युद्ध के ठीक बाद अर्जुन के रथ में आग लग गई थी और ये जलकर स्वाहा हो गया। यह ऐसा रथ था जो जररूत पड़ने पर किसी भी दिशा और किसी भी लोक में भ्रमण कर सकता था। फिर ऐसा क्या हुआ कि ये दिव्य रथ युद्ध के बाद जलकर खाक हो गया?

महाभारत युद्ध के बाद अर्जुन के रथ में लगी थी आग

महाभारत का युद्ध जब समाप्त हुआ तो अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पहले रथ से उतरने की प्रार्थना की। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने पहले अर्जुन को उनके गांडीव के साथ उतरने को कहा। अर्जुन ने भगवान की बात मानी और रथ से उतर गये। इसके बाद श्रीकृष्ण भी उतरे और अर्जुन को रथ से दूर ले गये। इसी दौरान हनुमान जी भी रथ के ऊपर से अंतर्ध्यान हो गये और शेषनाग भी पाताल लोक में समा गये।

इसके बाद रथ में अचानक आग लग गई और राख में बदल गया। यह दृश्य देख अर्जुन हैरान रह गये और श्रीकृष्ण से इसका कारण पूछा। इस पर भगवान ने कहा, 'अर्जुन, ये रथ तो पहले ही भीष्म पितामह, गुरु द्रोण और कर्ण से महारथी योद्धाओं के दिव्यबाणों से जल चुका था। ये रथ तो केवल इसलिए चल रहा था क्योंकि इस पर स्वयं मै बैठा था और ऊपर पताका में हनुमान जी विराजमान थे। अब चूकी इस रथ का काम पूरा हो चुका है इसलिए ये जलकर भस्प हो गया।

अर्जुन को अग्नि देव ने दिया था ये दिव्य रथ

अर्जुन ने जिस रथ पर सवार होकर महाभारत का युद्ध लड़ा था उसे भगवान अग्नि की ओर से दिया गया था। इसके पीछे की भी एक कहानी है। एक बार खांडव वन में भ्रमण करते हुए अर्जुन और कृष्णा की मुलाकात अग्नि देव से हुई। अग्नि ने कहा कि वे बहुत भूखे हैं और उसे शांत करने के लिए वे पूरे खांडव वन को जलाना चाहते हैं।

इसी वन में नागों के राजा तक्षक रहते थे और वे भगवान इंद्र के भी देस्त थे। ऐसे में इंद्र ने भगवान अग्नि की योजना को खत्म करने के लिए बारिश करा दी। इस पर अग्नि ने कृष्ण और अर्जुन से मदद मांगी। इसके बाद इन तीनों ने समुद्र के देवता भगवान वरुण का आह्वान किया। वरुण ने ही अर्जुन को गांडीव धनुष दिया था जबकि मदद से खुश होकर अग्नि देव ने अर्जुन को दिव्य रथ दिया जिसमें चार घोड़े बंधे थे।

टॅग्स :महाभारतभगवान कृष्ण
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