महाभारत: द्रौपदी को दांव पर लगाने की बात का केवल धृतराष्ट्र के इस सौतेले भाई ने किया था खुलकर विरोध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 27, 2019 10:11 AM2019-08-27T10:11:04+5:302019-08-27T11:23:40+5:30

Mahabharat: महाभारत के जिस प्रकरण की सबसे ज्यादा आलोचना होती है, वह है द्रौपदी का चीरहरण। यह घटना इसलिए हैरान करती है कि जहां सबकुछ हो रहा था वहां उस समय के सभी बड़े महारथी बैठे हुए थे और किसी ने विरोध का स्वर प्रकट नहीं किया।

Mahabharat story in hindi Vidur opposses Duryodhna during chausar game | महाभारत: द्रौपदी को दांव पर लगाने की बात का केवल धृतराष्ट्र के इस सौतेले भाई ने किया था खुलकर विरोध

महाभारत: द्रौपदी के चीरहरण प्रकरण की होती है सबसे ज्यादा आलोचना

Highlightsमहाभारत के युद्ध की भूमिका तैयार करने में चौसर के खेल की भी अहम भूमिका रहीधर्मराज युधिष्ठिर ने अपना सबकुछ हारने के बाद पत्नी द्रौपदी को भी लगाया था दांव परइस खेल के दौरान जब द्रौपदी की बात उठी तो केवल विदुर ने किया था खुलकर विरोध

महाभारत के युद्ध की एक अहम वजह चौसर का वह खेल भी रहा जिसमें ना केवल धर्मराज युधिष्ठिर अपना राज्य, धन-संपत्ति और अपने भाईयों सहित खुद को हार गये बल्कि पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगाया और हारे। द्रौपदी को बाल पकड़ कर राजसभा में लाये जाने और चीरहरण की घटनाओं ने कौरवों और पांडवों की आपसी दुश्मनी उस मोड़ पर लाकर खड़ी कर दी थी जिसके बाद वापसी के लगभग सभी रास्ते बंद हो गये। 

महाभारत की कहानी में द्रौपदी का चीरहरण एक ऐसा प्रकरण था जिसकी सबसे ज्यादा आलोचना होती है। यह घटना इसलिए भी हैरान करने वाली रही क्योंकि जिस राजसभा में भीष्म पितामह से लेकर गुरु द्रोण, कृपाचार्य, अर्जुन, भीम जैसे एक से बढ़कर एक महारथी बैठे हुए थे, उसमें इन सभी ने इस अनैतिक काम के समय नैतिकता और मजबूरी की चादर ओढ़ ली थी। सब चुप रहे और नौबत द्रौपदी के चीरहरण तक आ पहुंची। श्रीकृष्ण ने तब अपनी माया से भरतवंश की लाज रख ली।

महाभारत: द्रौपदी को दांव पर लगाने का विदुर ने भी किया था विरोध?

द्रौपदी के चीरहरण प्रकरण में तो भगवान श्रीकृष्ण उस समय आये जब द्रौपदी ने उन्हें याद किया लेकिन इससे पहले उस राजसभा में एक और शख्स भी था जिसने खुल कर द्रौपदी को दांव पर लगाये जाने के प्रस्ताव का विरोध किया था। महाभारत की कथा के अनुसार युधिष्ठिर जब खुद को भी हार गये तब दुर्योधन ने उनसे पूछा कि अब दांव पर लगाने को क्या रह गया है? इस पर कर्ण ने तंज कसते हुए कहा कि पांडवों के पास 'अब भी वह मृगनयनी और अभिमानी महिला द्रौपदी' है जिसे दांव पर लगाया जा सकता है।

द्रौपदी का इस तरह नाम लिये जाने से विदुर बहुत क्रोधित हुए और धृतराष्ट्र से दुर्योधन जैसे पापी और अभिमानी बेटे को त्यागने को कहा। दुर्योधन यह सुनकर नाराज हो गया और उसने अपने काका विदुर को राजभवन से बाहर कर देने और मार डालने तक की भी धमकी दी। विदुर ने हालांकि बिना डरे और खुल कर दुर्योधन का विरोध किया और उसे मर्यादा में रहने को कहा। इसके बावजूद दूसरे लोगों की चुप्पी का फायदा उठा कर दुर्योधन वह करने में कामयाब रहा जिसे वह करना चाहता था।

महाभारत: विदुर कौन थे?

विदुर दरअसल धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई थे और कुरुवंश के प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म एक दासी से हुआ था। उनके नीति के अद्भुत ज्ञान की वजह से उन्हे महात्मा विदुर भी कहा गया है। हमेशा धर्म और नीति की बात करने वाले विदुर ने कई मौकों पर पांडवों को मुश्किलों से भी बचाया था। विदुर को सत्य, ज्ञान, साहस और निष्पक्ष निर्णय लेने के रूप में जाना जाता है। महाभारत की कथा के अनुसार युद्ध से ठीक पहले श्रीकृष्ण जब शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आए तो वे विदुर के घर में ही रूके थे।

English summary :
Draupadi's rip off in the Mahabharata story was one such incident which is most criticized. This incident was also surprising because that time may big leader from Bhishma Pitamah to Guru Drona, Kripacharya, Arjuna and Bhima was present there at that time.


Web Title: Mahabharat story in hindi Vidur opposses Duryodhna during chausar game

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