महाभारत: सहदेव में थी भविष्य देखने की क्षमता! जानिए महाभारत से जुड़े 10 सबसे दिलचस्प तथ्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 23, 2019 01:08 PM2019-07-23T13:08:25+5:302019-07-23T14:40:41+5:30

महाभारत से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जो अब भी बहुत कम लोगों को मालूम हैं। आज हम आपको महाभारत से जुड़े ऐसे ही कुछ दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे हैं......

Mahabharat story 10 most interesting and less known facts | महाभारत: सहदेव में थी भविष्य देखने की क्षमता! जानिए महाभारत से जुड़े 10 सबसे दिलचस्प तथ्य

महाभारत के 10 सबसे दिलचस्प तथ्य

Highlightsमहाभारत से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जो अब भी कई लोगों को नहीं मालूम18 दिन चले महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों पर विजय पाई थी

महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है जिसका हर एक किरदार अपने आप में आकर्षक और रहस्यों से भरा है। यही नहीं, हर छोटा-बड़ा किरदार इस रूप में एक-दूसरे से जुड़ा है कि आप किसी को नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह लगभग असंभव है कि किसी शख्स को इस महाकाव्य से जुड़ी हर बात मालूम हो। महाभारत से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जो अब भी बहुत कम लोगों को मालूम हैं। आज हम आपको महाभारत से जुड़े ऐसे ही कुछ दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे हैं......

1. सहदेव के पास थी भविष्य देखने की क्षमता: पांचों पांडवों में से एक सहदेव के पास भविष्य देख सकने की क्षमता थी। उन्हें महाभारत के हर मोड़ पर मालूम था कि आगे क्या होने वाला है। इसके बावजूद उन्होंने कभी ये बातें किसी से नहीं कही। दरअसल, सहदेव को एक शाप था कि अगर वह भविष्य के घटनाक्रमों का राज खोलते हैं तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

2. श्रीकृष्ण की एक और बहन: सुभद्र भगवान श्रीकृष्ण की बहन थीं और यह तथ्य सभी जानते हैं। दिलचस्प ये है कि उनकी एक और बहन थी जिसका नाम एकानगा था। वह नंद और यशोदा की पुत्री थीं।

3. एकलव्य का पुनर्जन्म थे द्रौपदी के भाई: महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य का वध द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने किया। दिलचस्प बात ये है कि धृष्टद्युम्न ही एकलव्य के पुनर्जन्म थे जिसका अंगूठा एक बार गुरु द्रोण ने दक्षिणा में मांग लिया। एकलव्य का वध श्रीकृष्ण ने किया और वरदान दिया था वह अगले जन्म में गुरु द्रोण को मार कर अपना बदला ले सकेगा।

4. महाभारत युद्ध में बच गया था एक कौरव: युयुत्सु ही एकमात्र ऐसा कौरव था जिसने महाभारत के युद्ध में दुर्योधन का नहीं बल्कि पांडवों का साथ दिया। साथ ही वह एकमात्र धृतराष्ट्र का ऐसा बेटा भी था जो महाभारत के युद्ध के बाद भी जिंदा रहा।

5. महाभारत के 36 साल बाद हुई श्रीकृष्ण की मृत्यु: महाभारत युद्ध के खत्म होने और युधिष्ठिर के राजा बनने के कुछ दिनों बाद धृतराष्ट्र, माता गांधारी और कुंती वनवास को चले गये जहां जंगल में आग लगने से उनकी मृत्यु हो गई। श्रीकृष्ण की मृत्यु महाभारत युद्ध के 36 साल बाद हुई। पांडव भी करीब इतने ही साल बाद अपना राजपाट छोड़ हिमालय के रास्ते स्वर्ग को प्रस्थान कर गये।

6. युधिष्ठिर का हाथ जलाना चाहते थे भीम: द्रौपदी को भरी सभा में अपमानित किये जाने से भीम बेहद क्रोध में थे और युधिष्ठिर को भी इसका जिम्मेदार मान रहे थे। वे इतने क्रोध में थे कि भैया युधिष्ठिर के उन हाथों को ही जला देना चाहते थे जिससे उन्होंने चौसर खेला और द्रौपदी को दांव पर लगाकर हार गये। इसके लिए भीम ने अग्नि भी मंगवाई लेकिन अर्जुन ने उन्हें शांत किया।

7. दुर्योधन ने की केवल एक शादी: दुर्योधन ने काम्बोज की राजा चंद्रवर्मा की पुत्री भानुमति से विवाह किया था। दुर्योधन ने यह विवाह भानुमति को हरने के बाद किया। कहते हैं कि भानुपति बहुत ही सुंदर, आकर्षक, बुद्धिमान और ताकतवर थी। दिलचस्प ये भी है कि वह श्रीकृष्ण की भक्त थी।

8. युद्ध के बाद जल गया अर्जुन का रथ: महाभारत के युद्ध में अर्जुन के पास अद्भुत रथ था। यह ऐसा रथ था जिसके ऊपर पताका में हनुमानजी विराजमान थे और इसके सारथी स्वयं श्रीकृष्ण थे। शेषनाग ने पृथ्वी के नीचे से अर्जुन के रथ के पहियों को पकड़ रखा था ताकि इस महत्वपूर्ण युद्ध में एक पल के लिए रथ का संतुलन नहीं बिगड़े। हालांकि, युद्ध के बाद यह रथ जल गया। अर्जुन के पूछने पर श्रीकृष्ण ने बताया कि महारथी योद्धाओं के दिव्यबाणों से यह पहले ही जल चुका था और केवल इसलिए चल रहा था क्योंकि इस पर स्वयं वे बैठे थे और ऊपर पताका में हनुमान जी विराजमान थे। श्रीकृष्ण ने कहा कि अब चूकी इस रथ का काम पूरा हो चुका है इसलिए ये जलकर भस्म हो गया।

9. अर्जुन की हुई थी दो बार मृत्यु: हम सब यही जानते हैं कि महाभारत युद्ध के बाद स्वर्ग जाने के रास्ते में हिमालय की गोद में अर्जुन की मृत्यु हुई। हालांकि, एक और तथ्य है। इससे काफी पहले अर्जुन को उनके और मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा के ही पुत्र बभ्रुवाहन ने एक भयंकर युद्ध में मार गिराया। इसके बाद नागकन्या उलूपी अर्जुन को जीवन दिया।

10. युधिष्ठिर ने अपनी मां को दिया था शाप: कर्ण दरअसल कुंती के पुत्र थे और इस तरह वे पांडवों में ज्येष्ठ थे। हालांकि, इसकी जानकारी पांडवों को नहीं थी। कर्ण के वीरगति प्राप्त होने के बाद जब उस दिन का युद्ध खत्म हुआ तो माता कुंती वहां पहुंची और कर्ण के शव पर विलाप करने लगीं। इसे देख पांडव हैरान रह गये। सच्चाई जानने के बाद क्रोधित युधिष्ठिर ने अपनी मां कुंती को श्राप दिया कि भविष्य में अब कोई भी स्त्री कोई बात अपने पास छिपा या अपने पेट में पचा कर नहीं रख सकेगी और उसे इसे किसी न किसी के सामने जाहिर करना होगा।

English summary :
One of the five Pandavas, Sahdev had the ability to see the future. At every turn of the Mahabharata he knew what was going to happen next. In spite of this, they never said any of these things.


Web Title: Mahabharat story 10 most interesting and less known facts

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