हिंदू धर्म में व्रत, स्नान और दान का काफी महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति दान, व्रत आदि करता है भगवान उससे बहुत प्रसन्न रहते हैं। माघ महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि को स्नान-दान के लिए हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना गया है। इस दिन को माघ महीने का अंतिम दिन माना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की मान्यता वर्षों से हिंदू धर्म में चली आ रही है।
इस पर माघ पूर्णिमा की तिथि को लेकर लोगों के बीच काफी उलझन है कि आखिर माघ पूर्णिमा 4 फरवरी को है या 5 फरवरी को? तो इसका जवाब है हमारे पास....
माघ पूर्णिमा कब है?
मान्यताओं के अनुसार, स्नान और दान के लिए हमेशा सूर्योदय की तिथि को शुभ माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 4 फरवरी रात 9 बजकर 29 मिनट पर माघ पूर्णिमा शुरू होगी और 5 फरवरी रविवार को रात 11 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में सूर्योदय की मान्यता के अनुसार 5 फरवरी को पूर्ण स्नान किया जाएगा और माघ पूर्णिमा से संबंधित सभी नियमों का पालन किया जाएगा। स्नान का शुभ समय 5 फरवरी को सुबह 5 बजकर 22 मिनट से सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक का है।
क्या है महत्व?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार माघ महीने में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण कर प्रयागराज में पूजन, स्नान, गरीबों को दान देते हैं, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त दुख-रोग कट जाते हैं और लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। शास्त्रों के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है।
माघ पूर्णिमा की पूजन विधि
- माघ पूर्णिमा के दिन प्रात: काल उठकर नदी में स्नान करना चाहिए। अगर आपके आस-पास गंगा नदी नहीं है तो घर में ही पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करें।- स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करें।- इसके बाद व्रत संकल्प लेकर भगवान कृष्ण की पूजा करें।- इस दिन किसी गरीब को दान करना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए जरूरतमंदों को दान दें।- माघ पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए, काले तिल का उपयोग कर पितरों का तर्पण करने शुभ माना जाता है।
(Disclaimer: प्रस्तुल लेख में मौजूद जानकारी की पुष्टि Lokmat Hindi नहीं करता है। इन मान्यताओं और जानकारियों को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)