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सोमवार विशेषः भगवान शिव ने बताए थे मां पार्वती को सुखी जीवन के ये 5 बड़े रहस्य

By गुणातीत ओझा | Updated: August 31, 2020 11:35 IST

पौराणिक कथा के अनुसार माता पावर्ती को भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती का ही दूसरा अवतार माना गया है। उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को वरदान हेतु पति रूप में पाया था।

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ठळक मुद्देधार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव तथा माता पार्वती द्वारा सफल जीवन जीने और सुखी रहने के रहस्य बताए गए हैं।इन्हीं कथाओं में से एक है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन से जुड़े कुल 5 रहस्य बताए थे।

पौराणिक कथा के अनुसार माता पावर्ती को भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती का ही दूसरा अवतार माना गया है। उन्होंने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को वरदान हेतु पति रूप में पाया था। हिन्दू धर्म में सुहागिनें माता पार्वती और भगवान शिव की एक साथ पूजा करती हैं, ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखी-सुखी ग्गुजर सके। धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव तथा माता पार्वती द्वारा सफल जीवन जीने और सुखी रहने के रहस्य बताए गए हैं। इन्हीं कथाओं में से एक है जब भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन से जुड़े कुल 5 रहस्य बताए थे। आइए आपको भी बताते हैं:

 

1. सबसे बड़ी अच्छाई

भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताया कि इस संसार में सबसे बड़ी अच्छाई 'सत्य' है। इसलिए मनुष्य को हमेशा सच ही बोलना चाहिए। यह संसार सत्य की नींव पर ही आधारित है और इसी से सुखी जीवन पाया जा सकता है।

2. सबसे बड़ी बुराई

जिस प्रकार सत्य सबसे बड़ी अच्छाई है, उसी प्रकार भगवान शिव बताते हैं कि 'झूठ' इस संसार की सबसे बड़ी बुराई है। एक झूठ वर्षों से बने रिश्तों को बिगाड़ सकता है। एक झूठ संसार में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ता है। यह झूठ सब तहस-नहस कर सकता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा झूठ बोलने से बचना चाहिए।

3. यह ना समझें कि कोई नहीं देख रहा है

कई बार मनुष्य झूठ बोल देता है, सच छिपाता है, गलतियां करता है। उसे लगता है कि ऐसा करते हुए उसे कोई भी नहीं देख रहा है। लेकिन भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि मनुष्य की हर भूल का साक्षी वह खुद होता है। वह गलतियां करते समय यह भूल जाता है कि वह किसी और की नहीं, बल्कि अपनी आत्मा की नजरों में ही गिर रहा है।

4. मनुष्य जीवन के 3 पाप

भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन में 3 तरीके से पाप करता है- पहला अपने दिमाग के माध्यम से, दूसरा बातों के माध्यम से और तीसरा पाप वह अपने पार्यों से करता है। और ये सभी पाप भगवान शिव की दृष्टि में 'महापाप' कहलाते हैं। शास्त्रों में इन्हें वर्जित बताया गया है। और इन्हें करने वाला सारी जिंदगी दुःख को भोगता है। 

5. अध्यात्म ही है सफलता का मार्ग

भगवान शिव कहते हैं कि मनुष्य एक लालची प्राणी है। वह हमेशा सुखों के पीछे भागता है लेकिन वह इस बात से वंचित है कि सुख को पाने का एह ही माध्याम है और वह है 'अध्यात्म'। ईश्वर और अपनी अंतरात्मा से जुड़ा हर इंसान सुख को पा सकता है। धन, दौलत, प्रेम, इत्यादि चीजों के पीछे भागने वाला इंसान कभी सुखी नहीं रह सकता है।

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