कार्तिक का महीना शुरू होते ही त्योहारों और तीजों की झड़ी सी लग जाती है। इसी माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सौभाग्य पंचमी या लाभ पंचमी भी कहा जाता है। खासकर गुजरात राज्य में इस त्योहार की सबसे अधिक मान्यता होती है।
लाभ पंचमी, मानव जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहते हैं इस दिन शिव की पूजा करने से जातक की सभी सांसारिक कामनाएं पूरी होती हैं साथ ही घर में सुख और शांती आती है। इस बार लाभ पंचमी का ये पर्व एक नवंबर को पड़ रहा है।
लाभ पंचमी का महत्व
मान्यता है कि लाभ पंचमी वाले दिन भगवान गणेश की उपासना करने से सौभाग्य की प्राप्ती होती है। कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन जो जातक मन से भगवान शिव और गणेश को पूजता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। कुछ जगहों पर दीपावली के दिन नए साल की शुरुआत होती है और सौभाग्य पंचमी वाले दिन व्यापार और कारोबार में तरक्की-विस्तार के लिए शुभ माना जाता है।
लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त
लाभ पंचमी तिथि- 1 नवंबरपंचमी तिथि की शुरुआत- 01:01 AM(1 नवंबर)पंचमी तिथि का समापन- 12:51 AM(2 नवंबर)पूजा का शुभ मुहूर्त- 06:36 AM- 10:19AM तकपूजा की अवधि- 3 घंटे 43 मिनट तक
लाभ पंचमी की पूजा विधि
1. लाभ पंचमी के दिनन सुबह उठकर स्नानादि करें और सूरज को जल चढ़ाएं।2. इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और गणेश की प्रतिमाओं की पूजा करनी चाहिए।3. सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्दल पर श्रीगणेश के रूप में विराजित करना चाहिए।4. चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से भगवान गणेश की पूजा करना चाहिए।5. भगवान शिव को भस्म, बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित करें।6. गणेश जी को मोदक और शिवजी को दूसरे सफेद पकवान का भोग लगाएं।