लाइव न्यूज़ :

क्या होता है राहुकाल…क्यों माना जाता है इसे अशुभ ?

By गुणातीत ओझा | Updated: August 23, 2020 10:36 IST

राहुकाल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए। इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं। यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें।

Open in App
ठळक मुद्देराहुकाल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए।इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं।

समुद्र मंथन के समय जब अमृतकलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए, तो देवों और दानवों में सर्वप्रथम अमृतपान करने को लेकर विवाद छिड़ गया। अमृतप्राप्ति के प्रति इनके बीच बढ़ती कलह को अमंगल संकेत मानते हुए धनवंतरी जी ने भगवान विष्णु का स्मरण कर देवों और दानवों के मध्य हो रहे झगडे को समाप्त करने की प्रार्थना की। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि दानव अमृतपान करके कहीं अमर न हो जायें, यह सोचकर सृष्टि की रक्षा के प्रति नारायण की भी चिंता बढ़ने लगी और परिस्थिति को अति संवेदनशील मानते हुए श्रीविष्णु ने विश्वमोहिनी रूप धारण किया तथा दानवों को मोहित करके स्वयं के द्वारा देवों और दानवों में अमृत का बराबर-बराबर बँटवारा करने का प्रस्ताव रखा जिसे दैत्यों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। दोनों पक्ष पंक्तिबद्ध होकर अलग-अलग बैठ गए।

दैत्यों का सेनापति राहु बहुत बुद्धिमान था। वो वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में जा बैठा, जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, सूर्य और चन्द्र ने उसे पहचान लिया जिसके परिणाम स्वरूप नारायण ने सुदर्शन चक्र से राहु का गला काट दिया। अमृत की कुछ बूँदें राहु के गले से नीचे उतर चुकी थीं और वो अमरता प्राप्त कर चुके थे। राहु के सर कटने के काल को 'राहुकाल' कहा गया जो अशुभ माना जाता है। तभी से इस काल को देव-दानव दोनों ही अशुभ मानते हैं इस काल में आरम्भ किये गए कार्य-व्यापार में काफी दिक्कतों के बाद कामयाबी मिलती है अतः इस काल में कोई भी नयाकार्य आरम्भ करने से बचना चाहिए। 

राहु के शरीर के सिरोभाग को राहु और गले से नीचे के भाग को केतु कहा गया। राहु के खून की जो बूँदें पृथ्वी पर गिरीं वो प्याज बनी तथा केतु के रक्त की बूंदों से लहसुन की उत्पत्ति हुई। चूँकि प्याज-लहसुन में इनके अमृतमय रक्त की बूँदें मिल चुकीं थी इसलिए ये भी अमृततुल्य माने गए और इन दोनों खाद्य पदार्थों में अनेकों रोंगों को शमन करने की शक्ति आ गई जिसे आज भी हर कोई स्वीकार करता है। 

राहु का सिर कटने की घटना उस दिन शाम के समय की है जिसे पूरे दिन के घंटा मिनट का आँठवा भाग माना गया। कालगणना के अनुसार पृथ्वी पर किसी भी जगह के सूर्योदय के समय से सप्ताह के पहले दिन सोमवार को दिनमान के आँठवें भाग में से दूसरा भाग, शनिवार को दिनमान के आठवें भाग में से तीसरा भाग, शुक्रवार को आठवें भाग में से चौथा भाग, बुधवार को पांचवां भाग, गुरुवार को छठा भाग, मंगलवार को सातवां तथा रविवार को दिनमान का आठवां भाग राहुकाल होता होता है। 

किसी बड़े तथा शुभकार्य के आरम्भ के समय उस दिन के दिनमान का पूरा मान घंटा मिनट में निकालें उसे आठ बराबर भागों में बांटकर स्थानीय सूर्योदय में जोड़ दें आपको शुद्ध राहुकाल ज्ञात हो जाएगा जो भी दिन होगा उस भाग को उस दिन का राहुकाल माने और इस काल को सभी शुभ कार्यों के आरम्भ के वर्जित माने, अन्यथा कार्य सफलता में बड़ी बड़ी बाधाओं की आशंका रहती है।

राहुकाल समयज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि रविवार को शाम 4.30 से 6.00 बजे तक, सोमवार को सुबह 7.30 से 9 बजे तक, मंगलवार को दोपहर 3.00 से 4.30 बजे, बुधवार को दोपहर 12.00 से 1.30 बजे तक, गुरुवार को दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे से 12 बजे तक तथा शनिवार को सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है।

क्या न करेंज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस काल में यज्ञ नहीं करते हैं। इस काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए। इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं। यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें। इस काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है। राहुकाल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता। इसलिए यह कार्य न करें। राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए। राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।

मान्यताराहुकाल के विषय में मान्यता हैं कि इस समय प्रारम्भ किए गए कार्यो में सफलता के लिए अत्यधिक प्रयास करने पड़ते हैं, कार्यों में अकारण की दिक्कत आती हैं, या कार्य अधूरे ही रह जाते हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि राहुकाल के समय में किए गए कार्य विपरीत व अनिष्ट फल प्रदान करते हैं।

उपाय  ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यदि राहुकाल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें। घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकल जाएं। दूसरा यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।

टॅग्स :ज्योतिष शास्त्र
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार

पूजा पाठPanchang 03 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी