रामायण: इन 10 लोगों के बिना श्री राम का रावण को हराना था मुश्किल, सभी थे एक से बढ़कर एक दिग्गज-जानिए यहां
By मेघना वर्मा | Published: April 18, 2020 10:38 AM2020-04-18T10:38:02+5:302020-04-18T10:38:02+5:30
राजा दशरथ के मित्र जटायु ने ही सीता को ले जा रहे रावण को रोकने का प्रयास किया और वे मारे गए। जटायु ने राम को बताया कि रावण किस दिशा में गया है।
रावण और भगवान राम का युद्ध भीषण था। राम जी ने रावण को मार पर पूरे जगत को ये संदेश दिया कि झूठ और छल चाहे जितना ही महान क्यों ना हो सच्चाई की जीत जरूर होती है। कहते हैं रावण को युद्ध में हराने से पहले उसकी लंका में प्रवेश करना ही कठिन था। रावण की महानता के भी कई गुण ग्रंथों में मिलते हैं मगर फिर भी राजा राम ने उनका वध किया था।
रावण ज्योतिष, वास्तुकला, इन्द्रजाल, तंत्र, सम्मोहन जैसी कलाओं में भी निपुण था। बताया जाता है कि रावण को भगवान शिव से शक्तियां प्राप्त हुई थीं। रावण मायावी शक्तियों का स्वामी था। भगवान राम उन्हें कभी हरा नहीं पाते यदि उनके पास इन 10 लोगों का साथ नहीं होता। आइए आपको बताते हैं कौन हैं वो 10 लोग-
1.श्री हनुमान
हनुमान जी ने ही प्रभु श्रीराम की अंगूठी को लेकर समुद्र पार किया। जिसके बाद उसे माता सीता को सारी व्यथा सुनाई। विभीषण और सुग्रीव को राम से मिलाया। हनुमान जी ने ही हिमालय से संजीवनी बूटी को लाकर लक्ष्मण की जान बचाई थी।
2 .लक्ष्मण
प्रभु श्रीराम के भाई लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार बताया जाता है। लक्ष्मण एक श्रेष्ठ धनुर्धर थे और वे पाशुपतास्त्र का संधान करना जानते थे।
3.संपाती और जटायु
राजा दशरथ के मित्र जटायु ने ही सीता को ले जा रहे रावण को रोकने का प्रयास किया और वे मारे गए। जटायु ने राम को बताया कि रावण किस दिशा में गया है। इसके बाद संपाती ने अंगद को रावण द्वारा सीताहरण की पुष्टि की थी।
4.सुग्रीव
बाली वध के बाद सुग्रीव किष्किंधा के राजा बने और उन्होंने राम के लिए वानर सेना को गठित किया था।
5.अंगद
राम की सेना में सुग्रीव के साथ वानर राज बाली का पुत्र अंगद भी था। श्रीराम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा था। अंगद हनुमान की तरह पराक्रमी और बुद्धिमान थे।
6.जामवंत
जामवंतजी ने ही हनुमानजी को उनकी शक्ति का स्मरण कराया था। समुद्र के तटों पर वे एक मचान को निर्मित करने की तकनीक जानते थे, जहां यंत्र लगाकर समुद्री मार्गों और पदार्थों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता था। मान्यता है कि उन्होंने एक ऐसे यंत्र का निर्माण किया था, जो सभी तरह के विषैले परमाणुओं को निगल जाता था। बताया जाता है कि जामवंत जी आज भी जिंदा हैं।
7.नल
नल ने ही लंका और भारत के बीच पुल बनाया था। यह पुल लगभग 5 दिनों में बन गया जिसकी लंबाई 100 योजन और चौड़ाई 10 योजन थी। रामायण में इस पुल को 'नल सेतु' की संज्ञा दी गई है।
8.गरुड़
जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम से युद्ध करते हुए श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था, तब देवर्षि नारद के कहने पर गरुड़ ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था।
9.सुषेण वैद्या
युद्ध के समय मेघनाद के तीर से लक्ष्मण घायल होकर मूर्छित हो गए थे तभी सुषेण वैद्य को बुलाया गया। लक्ष्मण की ऐसी दशा देखकर राम विलाप करने लगे। सुषेण वैद्य की रामकथा में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
10. विभीषण
श्री राम द्वारा लाख प्रयास करने के बाद भी जब रावण नहीं मारा गया, तो वानर सेना में चिंता होने लगी थी। उस समय विभीषण ने राम को यह राज बताया कि रावण का जीवन उसकी नाभि में है। नाभि में ही अमृत है। तब राम ने रावण की नाभि में तीर मारा और रावण मारा गया।