केतु का राशि परिवर्तन इस दिन जीवन में मचाएगा खलबली, जानें तारीख और किस राशि पर पड़ेगा क्या प्रभाव
By गुणातीत ओझा | Updated: September 7, 2020 11:33 IST2020-09-07T11:33:13+5:302020-09-07T11:33:13+5:30
केतु का गोचर वृश्चिक राशि में 23 सितंबर 2020 को होने जा रहा है जिसका कई राशियों पर इसका शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव पड़ेगा। केतु एक छाया ग्रह है जो मगंल की तरह ही फल देता है।

केतु सितंबर माह में इस दिन कर रहा है राशि परिवर्तन।
केतु का गोचर वृश्चिक राशि में 23 सितंबर 2020 को होने जा रहा है जिसका कई राशियों पर इसका शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव पड़ेगा। केतु एक छाया ग्रह है जो मगंल की तरह ही फल देता है। केतु का गोचर 23 सितंबर 2020 यानी बुधवार के दिन सुबह 07:38 बजे धनु राशि से वृश्चिक राशि में हो रहा है और 12 अप्रैल 2022 यानी मंगलवार को सुबह 08:44 बजे तक इसी राशि में रहेगा। केतु भी राहु ग्रह की तरह ही हमेशा व्रकी अवस्था में ही चलता है और इसे मंगल का छाया ग्रह माना जाता है।
रहस्यमयी ग्रह है केतु
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह को एक छाया ग्रह माना गया है। इसे छाया ग्रह इसलिए कहा जाता है क्योंकि केतु का अपना कोई वास्तविक रूप या आकार नहीं है। यह मोक्ष, अध्यात्म और वैराग्य का कारक है और एक रहस्यमी ग्रह है। इसलिए जब केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ होता है तो वह उस व्यक्ति की कल्पना शक्ति को असीम कर देता है। जबकि अशुभ होने पर यह इंसान का सर्वनाश कर सकता है। केतु ग्रह किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है। लेकिन धनु राशि में यह उच्च और मिथुन राशि में नीच का होता है।
जानें राशियों को कैसे प्रभावित करता है केतु
ज्योतिष में केतु ग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं है। इसलिए केतु जिस राशि में बैठता है वह उसी के अनुरूप फल देता है। इसलिए केतु का प्रथम भाव अथवा लग्न में फल को वहां स्थित राशि प्रभावित करती है। इसके प्रभाव से जातक अकेले रहना पसंद करता है लेकिन यदि लग्न भाव में वृश्चिक राशि हो तो जातक को इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में केतु तृतीय, पंचम, षष्टम, नवम एवं द्वादश भाव में हो तो जातक को इसके बहुत हद तक अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यदि केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो व्यक्ति की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है। यदि जातक की कुंडली में केतु बली हो तो यह जातक के पैरों को मजबूत बनाता है। जातक को पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता है। शुभ मंगल के साथ केतु की युति जातक को साहस प्रदान करती है। केतु के पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के सामने अचानक कोई न कोई बाधा आ जाती है। यदि व्यक्ति किसी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। केतु के कमजोर होने पर जातकों के पैरों में कमजोरी आती है। पीड़ित केतु के कारण जातक को नाना और मामा जी का प्यार नहीं मिल पाता है। राहु-केतु की स्थिति कुंडली में कालसर्प दोष निर्माण करती है, जो जातकों के लिए घातक होता है।
नक्षत्रों का स्वामी है केतु
वैदिक ज्योतिष में मान्य 27 नक्षत्रों में से केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी है। यह एक अशुभ ग्रह है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वरभानु राक्षस का धड़ है। जबकि इसके सिर के भाग को राहु कहते हैं। ज्योतिष की माने तो राहु और केतु दोनों किसी जातक की जन्म कुण्डली में काल सर्प दोष का निर्माण करने का कारक होते हैं, तो वहीं दिशाओं में केतु का प्रभाव वायव्य कोण में माना गया है।
मानव जीवन पर केतु का प्रभाव
सबसे पहले बात करते हैं शरीर संरचना व गुण – अवगुण की। जातक में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। केतु के कारण ही जातक का स्वभाव कठोर होता है। जातक त्वरीत आक्रोशित हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह का कोई निश्चित राशि नहीं बताया गया है। इसलिए केतु जिस भी राशि में विराजता है वह उसी के अनुसार जातक को परिणाम देता है। इसलिए ज्योतिष के मुताबिक जातक की कुंडली में केतु का प्रथम भाव अथवा लग्न में विराजना व उसका परिणाम उस भाव स्थित राशि प्रभावित करती है। हालाँकि कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि लग्न का केतु जातक को स्वाभाव से साधू बनाता है व आध्यात्म की ओर ले जाता है। जातक सांसारिक सुखों से दूर हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास से जानें किस राशि को कैसे प्रभावित करेगा केतु..
मेष
यह गोचर आपको धार्मिक प्रवृत्ति को लेकर जाएगा। इस दौरान आप किसी तीर्थ स्थल पर जा सकते हैं। सांसारिक जीवन की अपेक्षा अध्यात्म जीवन में आपकी रुचि रहेगी।
वृष
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलने की संभावना है। यदि आप रिसर्च के छात्र हैं तो उसमें यह गोचर कामयाबी दिलाएगा। पीएचडी के छात्र हैं तो इस वर्ष आपको उसमें सफलता मिल सकती है। आपको पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है।
मिथुन
कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बॉस की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इस दौरान संभल कर काम करें। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां उत्पन्न होंगी। जीवनसाथी और व्यापार में सहयोगियों से मतभेद हो सकते हैं।
कर्क
यह गोचर अशुभ परिणामकारी हो सकता है। इस दौरान आपको जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु आपके ऊपर हावी होने का प्रयास करेंगे और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी का भी सामना करना पड़ सकता है।
सिंह
आपको संतान से जुड़ी समस्या हो सकती है। प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ गलतफहमियां बढ़ेंगी। लेकिन यदि आप एक छात्र हैं तो आपको अच्छे परिणाम मिलने की प्रबल संभावना है।
कन्या
आपके सुखों में कमी आने की संभावना है। इस समय आपकी माता जी की सेहत भी खराब रह सकती है। यदि आप इस समय कोई वाहन या प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं तो उन्हें मुहूर्त के हिसाब से ही खरीदें।
तुला
आपके साहस में कमी आएगी। आपका आत्म-विश्वास कमजोर हो सकता है। साथ ही घर में छोटे भाई-बहनों के साथ भी मतभेद हो सकते हैं। अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
वृश्चिक
इस समय परिस्थितियां आपके लिए प्रतिकूल होंगी। आपका मोह सांसारिक चीजों से भंग हो सकता है। धार्मिक, वैराग्य और अध्यात्म के विषय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
धनु
इस दौरान आपकी कल्पना शक्ति प्रबल होगी। आपको चीजों का पूर्वानुमान हो सकता है। वहीं कार्य व व्यवसाय में परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं होंगी। घर में परिजनों से अनबन हो सकती है।
मकर
आपके खर्चों में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो सकती है। धन हानि की संभावनाएं हैं। लंबी दूरी की यात्राएं योग में हैं लेकिन इस यात्राओं में आप अधिक धन खर्च होगा। आप किसी कारण से विदेश यात्रा पर भी जा सकते हैं।
कुंभ
आपकी आमदनी में कमी आएगी। रुका हुआ पैसा भी आपको मुश्किलों से प्राप्त होगा। किसी घरेलू मुद्दे को लेकर बड़े भाई बहनों से रार बढ़ सकती है। कार्य क्षेत्र में उपलब्धि अथवा पहचान न मिलने के कारण आप निराश हो सकते हैं।
मीन
आपकी राह में परिस्थितियां आसान नहीं होंगी। कार्यक्षेत्र में चुनौतियां आएंगी। कार्य स्थल पर आपके विरोधी आपकी छवि को नुकसान पहुंचाने की पूरी कोशिश करेंगे। आपको उनके कुचक्र से बचने की आवश्यकता है।