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Kanwar Yatra 2024: इस सावन में करने जा रहे हैं कांवड़ यात्रा तो जान लें पहले इसके नियम, न करें ये गलतियां

By रुस्तम राणा | Updated: July 20, 2024 15:37 IST

Kanwar Yatra 2024: कई मीलों दूरी चलकर कांवड़ में गंगा जल भरकर शिवभक्त शिवजी पर चढ़ाते हैं, जिससे महादेव उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी कामना को पूर्ण करते हैं। किंतु कांवड़ यात्रा के कुछ नियम होते हैं और कांवड़ियों को उन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।  

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Kanwar Yatra 2024: इस साल सावन का महीना 22 जुलाई, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 19 अगस्त, सोमवार को समाप्त होगा। संयोग यह है कि सावन का महीना भी भोलेनाथ का प्रिय है और सोमवार का दिन भी उन्हीं को समर्पित है। सावन माह में लाखों-करोड़ों शिवभक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए कांवड़ यात्रा करते हैं। यह यात्रा कठिन होती है। क्योंकि कांवड़ियों को नंगे पांव तेज धूप, बरसात, आंधी-तूफान में भी लगातार यात्रा करनी पड़ती है। वे कांवड़ में रखे गंगा जल से सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कई मीलों दूरी चलकर कांवड़ में गंगा जल भरकर शिवभक्त शिवजी पर चढ़ाते हैं, जिससे महादेव उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी कामना को पूर्ण करते हैं। किंतु कांवड़ यात्रा के कुछ नियम होते हैं और कांवड़ियों को उन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।  

कांवड़ यात्रा के नियम

1. कांवड़ यात्रा के समय में आपको मन, कर्म और वचन से शुद्ध होना चाहिए। 2. बिना स्नान किए कांवड़ को हाथ नहीं लगा सकते, स्नान करने के बाद ही कांवड़िए अपने कांवड़ को छू सकते हैं।3. इस समय में शराब, पान, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट, तामसिक वस्तुओं आदि का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।कांवड़ यात्रा के दौरान चमड़े की किसी वस्तु का उपयोग, चारपाई का उपयोग, ये सब कावड़ियों के लिए वर्जित कार्य है। 4. एक बार कांवड़ उठाने के बाद उसे भूमि पर नहीं रखा जाता है। थक जाने पर आप उसे पेड़, स्टैंड आदि पर रख सकते हैं।5.कांवड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना भी वर्जित माना गया है। विश्राम के दौरान कांवड़ को स्वच्छ और उच्च स्थान पर रखना चाहिए।6. शारीरिक क्षमता के अनुसार ही कांवड़ यात्रा करें। पहली बार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं तो अधिक दूरी से परहेज कर सकते हैं। बीमार या अस्वस्थ लोगों इस यात्रा से बचना चाहिए।

कांवड़ यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री

लकड़ी की बनी हुई कांवड़, भगवान शिव की तस्वीर, कांवड़ को सजाने के लिए श्रृंगार सामग्री, गंगाजल या नदी जल भरने के लिए कोई बर्तन या पात्र, कांवड़िए के लिए गेरुआ वस्त्र, कुछ जरूरी दवाएं, पट्टी आदि।

सावन में कब किया जाएगा भगवान शिव का जलाभिषेक? 

पंचांग अनुसार सावन शिवरात्रि का प्रारंभ 2 अगस्त की दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर होगा और समापन 3 अगस्त 3 बजकर 50 मिनट पर होगा। सावन शिवरात्रि पर निशिता काल पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए सावन शिवरात्रि 2 अगस्त को मनाई जाएगी और इसी दिन जलाभिषेक किया जाएगा।  

टॅग्स :सावनहिंदू त्योहारभगवान शिव
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