हिन्दू पंचाग के अनुसार कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे कालभैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भक्त कालभैरव के लिए पूजा करते हैं। माना जाता है कि भैरव स भगवान शिव से ही प्रकट हुए थे। भैरव बाबा को भगवान शिव का ही रूप बताए जाते हैं। भैरव जयंती के दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है।
कालाष्टमी का महत्व
माना जाता है कि भैरव जी की पूजा से भूत, पिशाच एंव काल हमेशा दूर रहते हैं। मान्यता है कि अगर सच्चे मन से भैरव बाबा की पूजा की जाए तो उनके सभी कष्टों का नाश होता है। साथ ही लोगों के रुके हुए काम भी बन जाते हैं। आप भी कालाष्टमी का व्रत पूरे विधि-विधान से कर सकते हैं। इस साल नवंबर महीने में कालाष्टमी 19 तारिख को पड़ रही है।
कब है कालाष्टमी
कालाष्टमी तिथि - 19 नवंबर कालाष्टमी प्रारंभ - 3:35 PM कालाष्टमी समाप्त - 1:41 PM (20 नवंबर)
कालाष्टमी की पूजा विधि
1. कालाष्टमी के दिन रात में पूजा करना शुभ होता है।2. भैरव बाबा की पूजा करने से पहले उन्हें जल अर्पित करना चाहिए।3. इसके बाद साफ जगह पर बैठकर भैरव कथा का पाठ करना चाहिए।4. बाद में भगवान-शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए।