Janmashtami 2019: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाये जाने वाले जन्माष्टमी के त्योहार की पूरे देश में धूम है। इस मौके पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर को सजाया-संवारा जाता है और आधी रात को विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो की अष्टमी को आधी रात में हुआ था। ऐसे में आधी रात को जन्म के बाद भगवान कृष्ण के बाल रूप का श्रृंगार किया जाता है और भोग आदि लगाने के साथ झूला झुलाया जाता है।
विधिवत पूजा के बाद आरती और फिर भक्तों में प्रसाद वितरण की परंपरा है। ऐसे में हम आपको भगवान कृष्ण के विशेष आरती के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उनकी पूजा के बाद जरूर गाया जाना चाहिए। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस आरती का खूब प्रचलन है।
Janmashtami 2019: भगवान कृष्ण की पूरी आरती
आरती कुंजबिहारी कीआरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बालाश्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलालागगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमालीभ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलकललित छवि श्यामा प्यारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी कीआरती कुंजबिहारी की।।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी कीकनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसैबजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी कीश्री गिरिधर कृष्णमुरारी कीआरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगास्मरन ते होत मोह भंगाबसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी कीश्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनूहंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की।श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।