Janmashtami 2019: श्रीकृष्ण ने यज्ञ में उठाए जब जूठे पत्तल, जानिए बांके बिहारी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 21, 2019 09:51 IST2019-08-21T09:51:22+5:302019-08-21T09:51:22+5:30

खांडवप्रस्थ का हिस्सा मिलने के बाद जब युधिष्ठिर ने एक यज्ञ का आयोजन किया। इसमें तमाम राजा-महाराजाओं को न्योता दिया गया। इसी यज्ञ को लेकर पांडव चर्चा कर रहे थे तो कौन क्या जिम्मेदारी संभालेगा। जब श्रीकृष्ण की बारी आई तो उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर सभी हैरान और शर्मसार हो गये।

Janmashtami 2019 interesting facts of lord shri krishna and Mahabharat story | Janmashtami 2019: श्रीकृष्ण ने यज्ञ में उठाए जब जूठे पत्तल, जानिए बांके बिहारी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

Highlightsभगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के हैं 108 नाम, थे 80 पुत्रमहाभारत युद्ध के 36 साल बाद हो गई थी भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का त्योहार जन्माष्टमी इस बार 23 और 24 अगस्त को मनाया जाएगा। इसे लेकर घरों और मंदिरों में तैयारी भी शुरू हो गई है। मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास की अष्टमी तिथि में आधी रात को हुआ था। इसी की खुशी में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस मौके पर जानिए भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें.... 

1. श्रीकृष्ण के हैं 108 नाम: संस्कृत में कृष्ण का मतलब 'काला' या 'गहरा रंग' होता है। कई बार इसके मायने 'आकर्षक' के तौर पर भी निकाले जाते हैं। दिलचस्प ये है कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण के 108 नाम हैं। इसमें गोपाल, गोविंद, मोहन, श्याम, घनश्याम, गिरधारी, बांके बिहारी जैसे नाम खासे लोकप्रिय हैं।

2. श्रीकृष्ण की थीं 16, 108 पत्नियां: शिशुपाल से विवाह की बात तय होने के बाद श्रीकृष्ण ने रुक्मणी के अनुरोध पर उनका हरण कर उनसे विवाह किया था। इसके अलावा सात और विवाह भी किये। इन सभी को मिलाकर 'अष्टभार्या' भी कहा गया। श्रीकृष्ण ने रुक्मणी सहित जिनसे विवाह किये उनके नाम हैं- सत्यभामा, जामवंती, नग्नाजिती, कालिंदी, मित्राविंदा, भाद्रा और लक्ष्मणा। श्रीकृष्ण को इन सभी से 10-10 संतान हुए। इसके अलावा श्रीकृष्ण ने 16,100 महिलाओं को एक असुर नरकासुर से भी स्वतंत्र कराया। इन महिलाओं के परिवार वालों ने हालांकि इसके बावजूद इन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें संरक्षण देने के लिए स्वयं इनसे सांकेतिक तौर पर विवाह किया।

3. श्रीकृष्ण ने जब उठाये जूठे पत्तल: खांडवप्रस्थ का हिस्सा मिलने के बाद जब युधिष्ठिर ने एक यज्ञ का आयोजन किया। इसमें तमाम राजा-महाराजाओं को न्योता दिया गया। इसी यज्ञ को लेकर पांडव चर्चा कर रहे थे तो कौन क्या जिम्मेदारी संभालेगा। सभी ने बड़े-बड़े काम अपने लिये चुन लिया। श्रीकृष्ण से जब पूछा गया कि वे क्या जिम्मेदारी संभालना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि भोजन के बाद वे सभी के जूठे पत्तल उठायेंगे। यह सुनकर पांडव हैरान रह गये और शर्मसार भी महसूस किया। श्रीकृष्ण ने आखिरकार यज्ञ में जूठे पत्तल उठाकर यह दर्शाया कि कोई काम छोटा नहीं होता।

4. श्रीकृष्ण ने किया शिशुपाल वध: युधिष्ठिर के इसी यज्ञ से जुड़ी एक और कथा है। यह बात जब शुरू हुई हुई किसका सत्कार करते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाए तो सभी ने श्रीकृष्ण के नाम का सुझाव दिया। शिशुपाल ने इसका विरोध किया और श्रीकृष्ण का अपमान करने लगा। श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की माता को यह वचन दिया था वे उसके 100 अपराध क्षमा करेंगे। इसलिए श्रीकृष्ण ने शुरू में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शिशुपाल के 100 अपशब्द जैसे ही पूरे हुए, श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन से उसका वध कर दिया। 

5. गांधारी ने जब दिया श्रीकृष्ण को शाप: महाभारत की कथा के अनुसार दुर्योधन वध से एक दिन पहले श्रीकृष्ण माता गांधारी के पास अपनी संवेदना जताने पहुंचे। गांधारी बहुत नाराज थी और उन्हें लग रहा था कि श्रृष्ण चाहते तो युद्ध तो टाल सकते थे लेकिन उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। इसी क्रोध में उन्होंने श्रीकृष्ण को शाप दिया कि जिस तरह उनके कुल का नाश हुआ है वैसे ही श्रीकृष्ण और यदुवंश का भी 36 सालों बाद सर्वनाश हो जाएगा। 

6. एक शिकारी के तीर से श्रीकृष्ण की मृत्यु: यदुवंश में जब खत्म होने को था उसी दौरान श्रीकृष्ण की भी मृत्यु हुई। कथा के अनुसार निराश मन से एक दिन वे वन में भ्रमण कर रहे थे और एक पेड़ के नीचे रूककर आराम करने लगे। इसी दौरान जरा नाम के एक शिकारी का तीर उनके पैर में आकर लगा। श्रीकृष्ण ने वहीं प्राण त्याग दिये और बैकुंठ लौट गये।

7. कृष्ण के थे 80 पुत्र: कृष्ण के कुल 80 पुत्र थे। कथा के मुताबिक उनकी सभी 8 पत्नियों से 10-10 पुत्र पैदा हुए थे। इसमें प्रद्युम्न सबसे लोकप्रिय थे जो रुक्मणी के बेटे थे।

8. कृष्ण के चचेरे भाई थे एकलव्य: एकलव्य दरअसल श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव के भाई देवश्रवा के पुत्र थे। एकलव्य बाल काल में ही जंगल में खो गये थे और बाद में निषाद हिरण्याधनु को मिले। रुक्मणी के हरण के दौरान श्रीकृष्ण ने ही एकलव्य का वध किया और गुरु द्रोण से बदला लेने के लिए दोबारा जन्म का आशीर्वाद भी दिया।

9. कृष्ण ने जब सुनाई भगवद गीता: महाभारत के युद्ध से पहले कृष्ण जब अर्जुन को जीवन का सार सुना रहे थे तब दो और लोगों संजय और भगवान हनुमान ने उनके इस उपदेश को सुना। हनुमान उस समय अर्जुन के रथ के ऊपर थे और संजय अपनी दिव्यशक्ति की मदद से व्यास को धृतराष्ट्र को पूरी कहानी बता रहे थे।

10. श्रीकृष्ण की अद्भुत रास लीला: भगवान कृष्ण के जन्म और उनके बालकाल से जुड़ी कई दिलचस्प कथाएं प्रचलित हैं। इसी में एक रास लीला का भी वर्णन आता है। कहते हैं रास लीला के दौरान जब श्रीकृष्ण गोपियों संग नृत्य करते थे तो हर गोपी को यही अहसास होता था कि कृष्ण उन्हीं के साथ नृत्य कर रहे हैं।

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