लाइव न्यूज़ :

Indira Ekadashi 2019: इंदिरा एकादशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत की पूरी कथा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 25, 2019 07:13 IST

Indira Ekadashi 2019 (इंदिरा एकादशी व्रत, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि ): इंदिरा एकादशी का व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है। मान्यता है कि पितरों की मुक्ति के लिए हर किसी को यह व्रत जरूर करना चाहिए।

Open in App

Indira Ekadashi 2019: आज (25 सितंबर) इंदिरा एकादशी का व्रत है। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पितरों की मुक्ति दिलाने के लिए उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सभी मनुष्यों को करना चाहिए। ऐसा करने से उनके वे पितर जो नरक में यमराज के दंड के भागी होते हैं, नरक लोक का कष्ट भोगते हैं, वे भी स्वर्ग लोक में जाते हैं। इंदिरा एकादशी में शालिग्राम की पूजा का विधान है। बता दें भगवान शिव को समर्पित प्रदोष की तरह ही हर महीने दो एकादशी व्रत भी पड़ते हैं।

भगवान विष्णु की पूजा" title="इंदिरा एकादशी में करें भगवान विष्णु की पूजा"/>
इंदिरा एकादशी में करें भगवान विष्णु की पूजा

अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की शुरुआत मंगलवार शाम 4.42 बजे से शुरू हो चुकी है और यह आज दोपहर 2.09 बजे खत्म होगा। इसलिए व्रत आज रखना उचित है और सुबह के समय ही पूजा-पाठ भी करें। व्रत का पारण 25 सितंबर को सूर्योदय के बाद होगा।

Indira Ekadashi 2019: इंदिरा एकादशी व्रत की विधि

हर एकादशी की तरह इस एकादशी में भी फलाहार का सेवन करें या उपवास रखें। एकादशी की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनें और सूर्य भगवान को अर्ध्य दें।

इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप प्रज्जवलित करें। चालीसा, पाठ या मंत्र का जाप करें। जाप सम्पूर्ण होने के बाद पूरा दिन और रात तक केवल फलाहार का सेवन करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ही व्रत का पारण करें।

Indira Ekadashi 2019: इंदिरा एकादशी व्रत की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार महिष्मतीपुरी के एक राजा थे जिनका नाम इन्द्रसेन था। राजा अपनी प्रजा के बेहद समीप थे और दिल से उनका पुकार सुनते थे। राजा की एक और खासियत थी कि वे सच्चे 'विष्णु' भक्त थे। और दिनभर में हरी अराधना के लिए समय जरूर निकाल लिया करते थे। 

राजा इन्द्रसेन और देवर्षि नारद से जुड़ी है इस एकादशी की कथा

एक दिन अचानक देवर्षि नारद उनके दरबार में आए। उन्हें देखते ही राजा बेहद प्रसन्न, उनका आदर सम्मान किया और दिल से उनकी सेवा में लग गए। कुछ पलों के बाद देवर्षि ने अपने वहां आने का कारण बताया जिसे सुन राजा अचंभित रह गए।

देवर्षि ने बताया कि वे अपने किसी कार्य से यमलोक गए थे गया और वहां उन्होंने राजा इन्द्रसेन के पिता को देखा। व्रतभंग होने के दोष से उन्हें यमलोक के कष्ट सहने पड़ रहे हैं। देवर्षि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता चाहते हैं कि तुम अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करो और उन्हने इस पाप से मुक्ति दिलाओ।

पितरों की मुक्ति के लिए सभी करना चाहिए इंदिरा एकादशी व्रत

देवर्षि ने फिर राजा को समझाया कि अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पितरों को सद्गति देने वाली होती है और इसका व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है। इसलिए आप पूरे मन से इस एकादशे एका व्रत करें। 

इसके बाद राजा ने अश्विन पास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया। इसी कथा को आधार मानते हुए हर साल इंदिरा एकादशी का व्रत और पूजन किया जाता है ताकि पितरों को शांति मिले और स्वयं के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाएं।

टॅग्स :एकादशीभगवान विष्णुधार्मिक खबरें
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठTulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के लिए ये हैं 7 भोग जो सौभाग्य की देते हैं फुल गारंटी

भारतCJI गवई ने कड़ी आलोचना के बाद 'भगवान विष्णु से पूछो' वाले बयान पर सफाई दी, कहा 'मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं'

पूजा पाठJanmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ

पूजा पाठKamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी व्रत 20 या 21 जुलाई को, जानें सही तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्व

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय