प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। यह दिन छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इससे अगले दिन होली खेली जाती है। रंगों के इस पर्व को भारत के कुछ हिस्सों में 'दुल्हैंडी' के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष 1 मार्च 2018 को होलिका दहन और अगले दिन यानी 2 मार्च को रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा।
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:26 से 8:55 तक रहेगा। इससे पहले भद्रकाल रहेगा, उस दौरान होलिका दहन का पूजन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूजा में भद्राकाल का खास ख्याल रखना चाहिए, इस अशुभ समय में की गई पूजा फलदायी नहीं मानी जाती है।
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होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन के दिन सबसे पहले पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मूंह करके बैठें। पूजा में सभी आवश्यक सामग्रियों का इस्तेमाल करें। पूजा की एक थाली सजा लें जिसमें माला, रोली, चावल, फूल, गुलाल, हल्दी आदि सजाकर रख दें।
अब पूजा प्रारंभ करें। कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। इसके बाद लोटे का शुद्ध जल व अन्य सामग्री भी होलिका पूजन में समर्पित करें। साथ ही साथ चावल, गुलाल आदि सामग्री जो आपने पूजा थाली में सजाई है उसे भी अर्पित करते रहें।
जब होलिका दहन हो तो दहन के समय नई फसल की गेहूं की बालियां लें और उनमें भूल लें। इन भुनी हुई बालियों को अपने सभी सगे संबंधियों में बांट लें। मान्यता है कि ऐसा करने से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है और कई कष्टों से राहत मिलती है।
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